मध्ययुगीन हिंदी कृष्ण - भक्तिधारा और चैतन्य - सम्प्रदाय | Madhyayugeen Hindi Krishna-bhaktidhara Aur Chaitanya-sampraday
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
55.49 MB
कुल पष्ठ :
463
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. मीरा श्रीवास्तव - Dr. Meera Srivastava
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अध्याय है पृ० ७१-११० भक्ति भक्ति का दार्शनिक आधार ७१ भक्ति का मनोविज्ञान ७३ प्रेमा- भक्ति का स्वरूप ७६ भक्ति के भेद - साधन भक्ति ८२ वधी ८२ रागनुगा ८९ कामरूपा ८३े सम्बन्ध रूपा ८४ कामानुगा ८६ भावभक्ति ८६ प्रेमभक्ति ९१ पुष्टि भक्ति--प्रवाह-पुष्टि ९२ मर्यादा-पुष्टि € ३ पुष्टि-पुष्टि €३ शुद्धि-पुष्टि € ३ भक्ति-साधना के अनिवायं अंग--भगवत्कृपा किवा अनुप्रह ९४ गुरु-आश्रय ६७ आत्म-सम्पंण १०१ नाम १०६ सत्संग १०९३ अध्याय ४... पु० ११३-१७९ ... . भक्ति साधना एवं विकास-क्रम नवधा-भर्वित--श्रवण ११५ कीतेन ११७ स्मरण ११ €£ पाद- सेवन १२० अचंच १९२१ वन्दन ८२२ दास्य १२२ सख्य १२३ ७ आत्म-निवेदन १२४ सेवा--राधावल्लभी सम्प्रदाय में अष्टयाम सेवा १२८ निम्बाकं-सम्प्रदाय १३१ गोड़ीय सम्प्रदाय १३६ वत्लभ- सम्प्रदाय १४५ अनुरागसूलक साधना १५० चैतन्य-सम्प्रदाय में मधुर भक्ति--पूव॑राग १५२ अभिसार १५५ सान १५६ माथुर १४५८ पुर्मिलन १४५८ वल्लभ-सम्प्रदाय में गोपी भाव १४८--माखच-चोरी १६० चीरहरण १६१ पनघट-लीला १६४ दानलीला १६५ रासलीला १६७ हिंडोल फाग १६८ निकृंज- लीला सखी भाव १६८ । रस [खण्ड प्रथम] रस के आधार १७३ भक्ति-रस का स्वरूप १७४ काव्य-रस एवं भक्तिःरस १७७. भक्ति-रस की स्थापना १८०--स्थायीभावत्व १८३ योग्यता-त्रय . १८३ कृष्णभक्ति-रस १८४ स्थायीभाव रै८५--शुद्धारति १८६ प्रीति-रति १५६ सख्य रति १८७ वात्सल्यरति १८७ प्रियतारति १८७) विभाव १८७--छालम्बनः
User Reviews
No Reviews | Add Yours...