भारत भ्रमण खंड - ४ | Bharat Bhraman Khand-iv
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.8 MB
कुल पष्ठ :
763
श्रेणी :
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No Information available about साधु चरण प्रसाद - Sadhu Charan Prasad
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)द भारत-भ्रमण चौथा खण्ड पढिला अध्याय | है। उस भाग के जंगढ अधिक साफ किए गए ६ 1 जिले के प्राय मत्येक बस्ती में पक तालाव है | सन् १८८१ की मनुष्य गणना के समय संभनंपुर जिले में दु९ ३४९९ मनुष्य थे नर्यात् देसर७४७ दिंदू ध्दुद५२ पहाड़ी कोमें १०१९० कवीरपंपी २९६६ मुसलमान ६९२ कुम्मीपंथिया जो केवल संभलपर ही मे हैं २१९ सतनामी ओर १९० छुस्तान 1. जातियों के खाने में ७९०७९ गोर ७८२९ गांडा 99४५३ कंपट इ७१०२ कोलटा ६५८४५ सवर ५७३२७ गोंड प०दूरद बैगा ४०६९६ कोल रर२५० तेठी २६८२८ घाहझाण १८४३ करा रद६७२ खांद ५६४७४ राजपूत और शेप में दूसरी जातियों के छोग ये । इतिहास--पटने के १९ वें राना नरसिंददेव ने अपने भाई घरराम- ब्व को दस्तिग का जंगली देश दे दिया। घलरामदेव संभलपर का पदला राना हुआ । उसमे अपने आसपास के कई रांजाओं से भूमि छीन कर अपना राज्य बढ़ाया । उसके वढ़े पत्र इरिनारायण देव ने जो सन् १४९३ हू में राजगद्दी पर बैठा अपने दूसरे पुत्र भदनगोपाक को सोनपुर का देश दे दिया जो अब तक उसके यश घरों के अधिकार में है । उस समय से छगभग २०० चर्ष तक संभरपुर का बर चढ़ता गया और पटना का घटता गया । सन् १७९७ में मददाराप्ट्ों ने बड़ी लड़ाई के उपरान्त संभरपुर को ले लिया और वहीं के राजा जेटसिद और उसे पुत्र को कैदी वना कर नागपर में भेज दिया । सन् १८०८ में जेडसिंद मर गया । उसके चन्द मद्दीनों के पीछे जेटमिंद का एल राजा बनाया घया । सन् १८२७ में उसके मरने के पदचात् उसकी विधा मोइनरुमारी के उत्तराधिकारिणी होने पर झगड़ा आरंभ हुआ। रानी तरत से उतारी गई ओर सभलपुर के तीसरे राजा की रखे- छिन स्त्री से जन्मा हुआ पूत्र नारायणसिंद रोजा चनाया गया । सन १८४९. में जर नारायणसिंद बिना पुर के मर गये तय संभलपुर अंग्रेजी अधिकार में ोगय 1 सन् १८द७ के आरम्म में सुरेन्द्र था वागी हुआ था नो कद किया गया 1 सबसे जिले में शांति स्थापित डुई ओर संभलपुर कसवे की उन्नति ने कगी ।
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