जाति और मनोविज्ञान | Jati Aour Manovigyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.1 MB
कुल पष्ठ :
40
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इस बात को. एक बार समझ लेने पर यह समझना आशइ्चयजनक नहीं रह जाता कि अमेरिकन इण्डियन और नीग्रो चाहे वे नवयुवक हों अथवा बच्चे औसत .. रूप में सफेद अमरीकावासियों की अपेक्षा कम परीक्षण अंक प्राप्त करते हूं । _ छेकिन यहू बात ध्यान देने योग्य है कि यह अंतर जौसत रूप में मिलता है। कु . एसे नीग्रो व्यक्ति भी हूं जो अनेक इवेत अमरीकावासियों की अपेक्षा अधिक अंक .. प्राप्त करते हूं। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह हैं कि कभी-कभी नीग्रो व्यक्तियों के पुरे के पूरे समूह परीक्षणों में उन इवेत अमरीकावासियों के समूहों . की अपेक्षा अच्छा कार्य करते हूं जिनसे कि उनकी तुलना की जाती है । .... प्रथम विश्व युद्ध के समय जब पहले-पहल अमरीकी फौज के रंगरूटों का जिनमें बहुत से नीग्रो भो शामिल थे मनोवैज्ञानिक परीक्षण किया गया तो लोगों में इस बात से बड़ी दिलचस्पी पदा हुई ।. परीक्षा के परिणामों ने यह सिद्ध कर दिया कि दक्षिण के रहनेव।ले नीग्रो लोगों ने जहां शिक्षा की ओर आर्थिक असुविधाएं अधिक थीं उत्तर के रहने वाले नीग्रो की अपेक्षा जहां इस प्रकार की असुविधाएं थीं तो सही किन्तु काफी कम थीं औसत रूप में अवद्य ही कम अंक प्राप्त किए । .. इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्तरी अमरीका के रहनेवाले नीग्रो ने _ दक्षिणी अमरोका के इवेत व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक अंक प्राप्त किये । दोनों _ हो प्रकार के बुद्धि-परोक्षण में यही बात सच्ची सिद्ध हुई--एक परीक्षण भाषा के आधार पर था और दूसरा क्रियात्मक अथवा भाषा को छोड़कर । कस से कम कुछ _ मनोवेज्ञानिकों को यह प्रतीत होने लगा कि इन परीक्षणों में सफ़ता का निर्णय _ करने के लिये चमड़ी का रंग उन परिस्थितियों की अपेक्षा जो किसी व्यक्ति को .. आवश्यक योग्यताएं प्राप्त करने के लिए मिलती हू कम महत्वपूष हू । ...... इस सम्बन्ध में और भी प्रमाणों को इकट्ठा किया गया । अमरीका के दो ... मनोवेज्ञानिकों--जोसेफ पीटरसन और छिले एच० लेनियर ने इस विषय का . महत्व समझा कि नीग्रो और इ्वेत अमरीकी व्यक्तियों की तुलना केवल उन्हीं परि- स्थितियों में नहीं करनी चाहिए जिनमें बहुत भिन्नताएं हैं बल्कि उन परिस्थितियों में भी करनी चाहिए जो लगभग एक सी ही हूं। मिष्टल मेजरमेष्ट मोनोग्राफूस _ १९२९ नामक ग्रंथ में एक लेख में उन्होंने लिखा ः-- . . - किसी विशेष स्थान में और किन्हीं विशिष्ट परिस्थितियों में किसी _...जातिमें जो भेद पाये जातें हे उनकी विश्वसनीयता जाननें की एक ..... उपयोगी विधि यह है कि हम विभिन्न परिस्थितियों म से इन भेदों .. का प्रत्तिनिधित्व करने वाले नमूने इकट्ठे कर और विभिन्न परिणामों की इस दृष्टि से तुलना कर जिससे यह मिक्चय किया जा सके कि वे... .... कौन से कारण हू जो एक अथवा दूसरी जाति के पक्ष में लगातार अंतर - पैदा करते हैं। . न ए पर ं
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