हिंदी साहित्य का बृहत इतिहास भाग - 16 हिंदी का लोकसाहित्य | Hindi Sahitya Ka Brihat Itihas Bhag-16 Hindi Ka Loksahitya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( देर ) समभा था तथा दिदी साहित्य के सम्यक्‌ श्रथ्ययन के लिये लोकसादित्य की श्लोर संकेत भी किया था | परंतु इस कार्य को संपादित करने का श्रेय वर्तमान श्रायोजर्कों को ही प्राप्त है। दिंदी साहित्य के दुदत्‌ इतिहास का प्रस्तुत ( सोलदवोँ ) भाग लोकसाहित्य से संबंधित है । इस खंड की विशेषता यह हे कि इसके विभिन्न श्रथ्यायों को उस विषय के श्रधिकारी विद्वानों ने लिखा है । इन लेखकों में से श्रधिकाश ने श्रपनी चेत्रीय माषाश्रों में लोकगीतों तथा लोककथाश्रों का संग्रह तथा सपादन फर ख्याति प्राप्त की है । लोकप्ाहित्य संबंधी इतनी प्रचुर सामग्री का एकत्र संकलन तथा विवेचन श्रौर दिंदी की विभिन्न बोलियों के लोकसाहित्य--लोकगीत, लॉकगाया; लोककया, लोकसुमापित श्रादि--का इतना विभिन्न समग्र तया गंभीर श्रालोचन राष्ट्रमापा हिंदी में श्रन्यत्र उपलब्ध नहीं है । विभिन्न विद्वानों ने श्रपनी जनपदीय बोसियों के लोकर्ग हों तथा कथाश्रो का संकलन स्फुद रूप में श्रवश्य किया, परंखु बीस न्षेनीय भाषाओं के लोषसादित्य की मीमाषा एकत्र करने का कोई प्रयात श्र तक नहीं हुश्रा था | लोकसादित्य के मौलिक छिंद्धार्तों को प्रतिपादित करने के लिये विस्तृत प्रस्तावना के रूप में लोफकसादित्य का समीद्यात्मफ विवेचन भी पाठकों के सामने प्रस्तुत किया गया है । इसका श्रेय डा० इप्णदेव उपाध्याय को है। इसमें लोफ- गीतों के वर्गीकरण की पद्धति, लोकगायाश्रों की उत्पत्ति, उनका श्रेणीविभाग, उनकी पिशेषताएँ, लोककथाश्रीं की प्राचीन परंपरा, उनके प्रघान तत्व तथा लोक सुमापितों, लोफो क्तियां, मुद्दायरों; पदेलियों श्रादि का प्रामाणिक विवेचन फरने का प्रयास किया गया है, श्राशा है, इस विवेचन के द्वारा लोकसादित्य की विभिन्‍न विधाश्रों तथा विशेषताश्रीं को हरलता से समभा ना सकेगा | म्रंथ में दिंदीमापी प्रदेश की निम्नाक्ति बीस नतपदौय बोलियों तथा भाषाश्रो के लोकसादित्य का वर्णन प्रस्तुत किया गया है-( १ ) मैथिली, ( २) सगददी, (३ भोभपुर्य, ( ४ म्रवर्षा, (५. ) बघेला, ( ६ 3 छुर्चासगर्दा, ( ७ ) बुदेला, (८१ ब्रन, (६ ) कनउन्नी, (१०) रानस्यानी, (११) मालवी, (१२) फौरवी, (१३) पंजाबी, (१४) डोगरी, (१५) कॉगडी, (१६) गढवाली, (१७) कुमाउँनी, (१८३ नैगली, (१६) कुलुई तथा (२०) चबियाली । इन समस्त चेत्रीय मापाधों को माधाविशान की दृष्टि से सात समुदायों में विमानित किया गया है तथा प्रत्येफ समुदाय के श्रतगंत था बलिया या मापाएँ श्ाठी हैं उनके लोॉकछाडिव्य पा पिये- चयन हुु्रा दै । इन विभिन्न समुदायों का विमाबन तथा उनके श्तगंत समाधि बोलियों फी परिगणुना निम्नॉक्ति है :




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