राज - निवेश एवं राजसी कलायें | Raj - Nivesh evm Rajsi Kalayen

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Raj - Nivesh evm Rajsi Kalayen  by डॉ. द्विजेन्द्रनाथ शुक्ल - Dr. Dvijendranath Shukla

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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९. रूप-प्रहरण-संयोगादि-लक्षण प्रतिमा-दोष-गुण-निरूपण ऋज्वागतादि-स्थानक मुद्रांएं बैष्णवादि-दरीर मुंद्राएं पताकादि ६४ संयुत- भसयुत-नृत्य मद्राएं-- ६ श७ श्६. 5 दल द्श्. धर प्रतिमा-लक्षण देवादिरूप-प्रहरण-संयोग-लक्षण पंच-पुरूष-स्त्री-लक्षण ः दोष-गुण-निरूपण-लक्षण ऋज्वागतादि-स्थान-नक्षण बैष्णवादि-स्थानक-लक्षण पताकादि-चतुष्य व्टि-हस्त-लक्षण तृतीय खण्ड--मूल चतुर्थ-खण्ड---वास्तु-शिल्प-चित्र-पदावली श्रतिमा-मुद्रा दशन्दो ंदग-दहे है. रनहै दे ४-८४ ह६-१०४ रै० ५-०७ है ०८०१२ ३




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