पुरातत्व - निबन्धावली | Puratatva Nibandhawali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गिर शद भा पुरातत्त्व-निबंधावली ....... भिक्षु युनू-व्वेड अपने समयंमें वहाँ साम्मितीय निकायकी प्रधानता पाते. ..... हैं। युनुनव्वेडका ग्रन्थ १२ शताब्दियोंतक भारतसे दूर पड़ा रहा; इस- _....... लिये जान-बूझकर, मिलावट कम होनेसे, अपने समयके लिये उसकी प्रामा- .......... णिकता बहुत ही बढ़ जाती है। किन्तु मान लीजिये युनू-च्वेझ अपने ग्र्थ में लिख दें कि; सारनाथका धर्म-चक्-प्रवतन-विहार अद्योकके समयसे .......... आजतक साम्मितीयोंके हाथमें है, तो उक्त लेखके सामने इस बातकी प्रामा- .......णिकता कुछ भी नहीं रह सकती। इस तरह समसामयिक सामग्री पीछे :..... रचित और लिखित प्रत्थोंसे बहुत ही अधिक प्रामाणिक है। हाँ, जैसा कि, ....... मैंने ऊपर कहा है, वहाँ हमें उनकी समसामयिकताकों सिद्ध करना होगा। ....... समसामधिकता सिद्ध करनेके लिये निम्न बातें सबसे अधिक प्रामाणिक हूँ (१) स्वयं लेखमें दिया संवत्‌ और नाम, (२) लिपिका आकार, (हे)... . /. गहराई, (४) प्राप्त वस्तुके आसपास मिली ईंठें और अन्य वस्तुएँ। ........... पहली बात तो सर्वमान्य है ही; लेकिन ऐसा संबत्‌-काल लिखनेका .. ....... रवाज गुप्तोंके ही समयसे मिलता है। आन्क्नों, कुषाणों, मौर्योके लेखोंमें ...... तो राजाके अभिषेकका संवत्‌ दिया रहता है; उनका काल-निर्णय कठिन ...... है। बहुतसे लेखोंमें तो काल भी नहीं रहता। ऐसी अवस्थामें, अक्षरोंको देखकर, उनसे काल-निशचय किया जाता है। यद्यपि इसमें दो-एक :...... शताब्दियोंके अन्तर होनेकी सम्भावना है; किन्तु जो सामग्री सबसे प्रचुर... ...... परिमाणमें मिछती हैं और मनुष्य-जीवनके सभी अद्गॉपर प्रकाश डालती... है, वह अक्षराड्थित भी नहीं होती। इसी सामग्रीकी समसामयिकताकों ...... सिद्ध करनेके लिये तीसरे और चौथे प्रमाणोंकी आवश्यकता होती है। .. ........... ऐतिहासिक सामग्रियोंमें श्त्यक्षदर्शी लेख का, अपनी ज़बान खोलकर... .......सनु-संवत्‌के साथ घटनाओंका वर्णन करना, ऐतिहासिक प्रत्यक्ष है। किन्तु ...... जब वह अच्ु या आकारसे अपने काल सात्रकों बतलाता है, तब भी वह अपने . साथके बर्तन, दीवार, जेवर, मूर्ति आदिके बारेमें इतनी गवाही दे ही जाता... है कि, इतने समयतक हम सब साथ रहे हैं। उस समयकी सभ्यता आदि दे.




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