भारतीय संविधानका मसौदा | Bharatiy Samvidhan Masauda

Bharatiy Samvidhan Masauda by राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan

Add Infomation AboutRahul Sankrityayan

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
नि श् 4 वन्घान करनेवाला कोई वि धान, जो भारत के राज्यक्षेत्र या उसके किसी भागमे चला श्राता रद्दा दो, तत्र तक लागू रहेगा, जब तक पार्लामेंट झववा कोई दूसरी योग्य सत्ता उसे परिवर्तित, रूंडित झथवा संशोधित नहीं कर देती । डर सांग ४ राज्यक्षी नीतिके संचालक सिद्धान्त परिभाषा **, २८. यदि प्रकरणसे दूसरा श्रथ श्रपेक्तित न हो, तो इस भागगमें “राज्य” का वही झरथ है, जो इस संविधानके भाग ३ में है । २४, - इस भागमें दिए गए बस्घान किसी न्यायालय द्वारा कार्यरूपमे परिणुत नहीं होंगे, तो भी उनमें दिए. हुए सिद्दान्त देश के शासन में मूल- भूत हैं श्रौर विधान बनाने मे.इन सिंद्दान्तों का झनुगमन करना राज्य का कर्तव्य होगा | इस भागमें वर्शित ३०. राज्य इस वातका प्रयत्न करेगा कि जितना दो सके उतने छिदान्तोंका योग. प्रभावकारी रूपमें ऐसी सामाजिक व्यवस्थाकी स्थापना तथा रक्षा करके लोक-कल्याणुकी श्रमिद्वद्ि करे, जिसमें राष्ट्रीय जीवनकी सभी सस्थाश्योंको सामाजिक, आर्थिक, श्र राजनीतिक न्याय प्रास दो । सावंजनिक झमि- ३९० राज्य विशेष रूपसे श्रापनी नौतिका निम्न दिशाओं में कर संचालन करेगा 1 कि (९) नर-नारी सभी नागरिकॉंको झाजीविकाके पर्याप्त साघन प्राप्त करनेका झधिकार दो, (९) जनतमुदायकी भौतिक सम्पत्तिका स्वामित्व तथा नियन्त्रण इस प्रकार बेंटा हो कि जिससे सवंसाधारणक द्वित सर्वोत्तम रौतिसे साघित हों, (३) श्रार्थिक व्यवत्थाके सचालनका ऐसा परियाम न दो कि उत्पादनके साधनों श्रौर घनका केन्द्रीयकरण' सर्वशाघारणुके झ्रद्दितके लिए हो, (९) पुरुषों और खियों दोनों ही को एकसे कार्यका एकसा वेतन मिले । द (४) कमकर ल्ली-पुरुपोंके वल और स्वास्थ्य तथा वच्चोंकी सुकुमार _ अथिका दुरुपयोग न हो, श्रौर झ्रार्थिक श्रावश्यकफता श्रॉसि विवश होकर नागरिकोंको झपने बल तथा शक्तिको अ्रनुपयुक्त व्यवसायोंभें न लगाना पड़े ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now