दक्षिण - पूर्व एशिया | Dakshin - purv Asia

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रघुनाथ सिंह (भारतीय राजनीतिज्ञ) :-

रघुनाथ सिंह (१९११ - २६ अप्रैल १९९२) एक स्वतंत्रता सेनानी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता, तथा लगातार ३ बार, १९५१, १९५६ और १९६२ में वाराणसी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के तरफ से लोकसभा सांसद थे। वे स्वतंत्र भारत में, वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के पहले निर्वाची सांसद थे। १९५१ से १९६७ तक, तगतर १६ वर्ष तक उन्होंने वाराणसी से सांसद रहे, जिसके बाद १९६७ के चुनाव में उनको पराजित कर, बतौर सांसद, उन्हें अपनी सादगी और कर्मठता के लिए जाना जाता था।

निजी एवं प्राथमिक जीवन तथा स्वतंत्रता संग्राम -

वे मूलतः वाराणसी ज़िले के खेवली भतसार गाँव के रहने वाले थे।उनका जन्म

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कम्बुज पा विभानपत्तन वास्तवसमे साधारण है । छोटा टिनसे छावा दो कमरा है। उसके आगे बरामदा है । प्रतिदिन विमान एक वार उतरता और उड़ता है । सुख्यतया पर्यटक आते हैं । तीन-चार फ्रांसीसी सेनिक-विमान भी वहाँ खड़े थे । कम्बोडिया लाओस तथा वियतनाम फ्रासके संरक्षणमे हैं । एतदर्थ सैनिकोके मन बहलानेके लिए एगकोर अच्छा स्थान समझा गया है। वेमानिक सैनिक दिक्षा भी ग्यायद दी जाती है। पदातिक सेनिकोको सेन्य-प्रदर्शन भूसिपर सैनिक अभ्यास करते देखा । वहाँसे सिए[मरीप जनपद ६ मीलदूर है । सड़क अच्छी है । थाई वायुपथकी बस ग्राण्डहोटल पहुँचा देती है । वहँसे नगरमे जानेके लिए. रिक्या मिल जाता हैं । होटलमे थाई वायुपथका कार्यालय है। होटलसे नगर आध मील होगा । विदेशी पर्यटकोक्े लिए ठहरनेका एकमात्र साधन होटल है । एक दिन रहनेका युवक केवल ८५] है सिएमरीपका नगर कसबा किंवा अरण्यीय जनस्थान कहा जा सकता है । सिएमरीप नदीके तटपर बसा है । नदी एगकोर वाट एगकोर थाम तथा वरे ओरियण्टलके बीच बहती है | छुलेन पर्वतसे निकलकर कम्बोडिया- की विद्याल झील तानले-सेपसे गिरती है । एगकोरकी सुरम्य वनस्थली इसकी उपत्यकामे है | एगकोरके लिए. सिएमरीप खोतस्विनीका वही महत्व है जो यूनानकी राजधानी एथेन्सके लिए. पिरिससका था । पढ़ियोसे जल ऊपर उठानेवाला यु नदीमें छगा है । पहिया जलके वेगसे घूमता है । घूमनेके साथ ही रहठकी तरह पानी उठाकर उच्चस्थलीपर डालता है । नगरमें वाहरसे अधिक वाट तथा विहार हैं। वे ब्यामके वाट (सिक्षुओके रहनेका स्थान) से पूर्णतया मिलते हैं । दोनो देशोके वाटोसे अन्तर करना कठिन है । स्यामकी अपेक्षा यहाँके वाट साधारण तथा सादे सादूम हुए। वाम तटपर शाला अर्थात्‌ धर्मताला है । कम्वोडियामे चालाओंकी भरमार है । कोई भी आवासकी कमीका अनुभव नहीं कर सकता । उनमे किसी जाति पंथ मत सम्प्रदाय धर्म एव देदाका व्यक्ति




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