राजस्थानी सबद कोस खण्ड - 3 | Rajasthani Sabad Kosh Khand-iii

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“प्रद्धांबर्ति ” श्री श्रनोप री पुत, पुतठौ परमारथ रौ। सांच भूठ परखण जिणा, भ्ाल्यो पथ पारथ रो ॥ महावीर रणधीर, फोज में थी जो करनठ। सिंघु सरिस गंभीर, नीर गंगा ज्यूं निरमछ ॥। हनुमांन श्रांन ने प्रांत सम, पाती थी जो पेखली । जीवन घिन जिए रौ नांम सुभ, शभ्रादि अ्रखर में देखलौ ॥। --संपादक




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