रतिप्रिया | Rati Praiya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.01 MB
कुल पष्ठ :
150
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रतिप्रिया रे बाप उम राज चर बारे । दम लागों से दुछ खता हुई? विल्ुल नहा 1 फिर मैं जो सोचता था वह वात वहाँ नहा थी । सा हा मैंन आपदा पहत ही कट निया था ए मेरा स्वभाव और तवियत जरा बर्निश्चित-सी हो है । बार हम लाग भा ता इन्मान हैं। प्रतिष्ठित और भले आदमी मदि हम गिरे हुआ से इम तरह भागंगे तो हमारा उत्यान फिर कसे होगा? बा आप चाहत हैं वि गिरे हुए बभी उरठें हा नहा ? यच्छा सप्परं ही यदि नहीं हुआ तो उन्हें उठने वा अवसर भी फिर बसे मिलेगा आए कया बहता चाहती हैं? सब कुछ तो मैं वही चल बर बहूंगी। इतना विश्दास अवश्य दिला सबही हूँ दि आपको वहाँ चल कर निराशा नही हांगी । सत्तार और आतिय्य था अवसर दिए दिना उठ कर चले जाना आतिथ्यकार वा अपमान वरना होता है। हम आपकी बराघरी के ने सही पर इन्सान ठौ हद दी हे अच्छा ती मैं बाऊगा । परतु बद् १ बल परमा । का बत्-परमा ने जाने वद आए ? जीदन मे आन वात एड क्षण का भी रिमी वो बोई पता नहीं । पिछला पूरा सप्ताह द मुते सापकों इघर उधर तलागते बीता हू। हर कक फिर हे लभी बया नहीं ? आप चघररिये मैं बाता हूं 7 ग्दाद भू रे न्होप साथ मय नहीं ? बया सारनाजिवता वाधक हु नह ता ।
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