ऋषि दयानन्द के ग्रंथो का इतिहास | Rishi Dayanand Ke Grantho Ka Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.43 MB
कुल पष्ठ :
317
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)''धट्टम चप्याय--भ्रमोच्छेदन « श्8६१
भ्रमोच्छेदन का रचना स्थान
अमोच्छेदन प्रन्थ झापाढ़ कृष्णा २ गुरुवार सं० १६३७ वि०
( ९४ जून सन् १८८० ) को फरु खावाद, से छापने के लिए भेजा था।
देखो पत्रन्यप्दार एप्ठ र०२। इस वार स्वामी मी मददाराज वेश[ख शु०
११ ( २० मई १८८०) से 'झापाद कृष्णा दे ( ३० जूत' ८८० ) सके एक
मास घारद दिन फर्स सा बाद रे थे । अतः यद प्रन्थ फरुखांबाद में दी
रचा गया था 1 ही
ऋषि केपररों में अ्मोच्छेदन का उल्लेख
मदद्पि ने ापाढू कण २ शुरुवार सण १६३२४ के पत्र में लिखा दै--
“झाज रजिष््री करके राजा शिवप्रसादू का उत्तर यददी से
रदाना करेंगे ।” पत्रन्यवहार पुन १६७ |
अगले 'झापाद सुदि * स० १६३७ थि० के पत्र में पुनः लिखा हैं
“दमने २४ वीं जून को सजा शिवप्रसाद का उत्तर भेजा था, २६
वा कोपहुँ 1 द्ोगा । भर वद्द भी पहली चअप्रेल 6 (१ जुलाई )
दा पांचवों तारीख अम्ल & (7 जुलाई ) तक छपके तैयार हो
गया दोगा ।” पत्रव्यवद्दार प्रष्ठ र०१ ।
पुनः श्रगले 'मज्ञाव तिथि ( १० या है१ जुलाई सन् १८८० ई०) के
पत्र मे लिखा दै--
“२४ जून को सता शिवप्रसाइ का उत्तर इसने फरु खाद से
तुम्दारे पास भेजा दिया था।” * ”” सना जी के जादू की
पुस्तक हद के दरनद ८ दिन में छप कर तैयार दो.सकते हैं पर
न मालूम 'झव तक क्यों नहीं तैयार हुए* । पतव्यवहार प्ष्ठ २०२ |
इन पर्मा से ज्ञात होता दै कि श्रमोच्छेदन थापाद के छत में या
उसके बाद छपा दोगा । इसका प्रथम सस्रुरण दमें देखने को नददं
मिला ।
& यह पत्र रथ जून के वाद लिखा है अत यदां जुलाई चादिये।
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