धर्म - इतिहास - रहस्य | Dharm Itihas Aur Rahashya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
52.59 MB
कुल पष्ठ :
421
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं० रामचन्द्रजी शर्मा - Pandit Ramchandrajee Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ९ किससे छिपी है रोमन प्रीक और पारसी अपने उत्कर्ष काद में साँस का सेवन नहीं करते थे । भारतवर्ष का इतिहास तो उसका प्रत्यक्ष ब्माण हैं कि इस देशसें जब से साँघ का प्रचार बढ़ा तभी से यह गिरता चला गया । यदि श्राय्य जाति में बाल्-विवाह करने झोर ब्यायासादि अच्छे कार्य न करने की प्रथा च चल पड़ती तो श्राज संवार में हससे अधिक कोई थी बलवान न होता | कप ऊ्छ रॉ ५. कि ०५. नो हु किन कि ७च की ३--ऊछ अंगरेज़ शोर उनके विचार दुन्य भारतीय चेले कहते हूँ कितने ही उपाय करो यह देश उन्नति नहीं कर सकता इसकीं जलवाय 3 णसें पथ में हैं । यदि इनकी ही बातें ठीक होती तो टंडरा घोर घीनलेंड के सचुप्य ही. झ्ाज चक्रदत्तीं होते । यदि भारतवप की थूदकारू की उन्नति को देखना चाहते हो तो क्पया सि० च्ाउन और प्रोफेसर सेक्ससूलर से पूछुलो चन्द्रगुप्त श्रशोक विक्रस वालादित्य को हो तुस भी जानते हो जिन्होंने उन जातियों को परासत किया था जिन से सम्पूर्ण संसार कांपता था | अच्छा यूतकाल को जाने दो आज भी संसार में यह मरा हाथी वटोरने से कप नहीं हैं । क्या जगदीशचन्द्र बोस छे समान कोई फ़लासफ़र संसार में है । क्या कोई कवि सर रवींद्रनाथ ठाकुर के समान है? क्या किसी जाति के पास प्रो० रामसूर्ति घोर स० गांधी हैं | भले सनुष्यों कृत तो मत बनो सित्र लोग मांस के घोर यद में जब जर्सनों की संगीनों कीं चसक को देख-देखकर लोडियों की साँति दर रो रहे थे उन जर्सनों और तुकां को रुई के समान पुनकर फेक देने वादे अद्वितीय वीर सिक्ख आट राजपूत श्रौर गोरखों की झुजायें तो सी तक अपने में ऊप्य रह बहा रही हैं | छ--सवबसे अधिक कायर वे मनुष्य हैं जो कहते हैं कि अजी परिअस करना व्यर्थ है यह सब कलियुग की लीला हैं। हम हन तत्व ज्ञान के देकेदार महाशर्यों से पूछते हैं कि श्रीमानूजी अन्य पद
User Reviews
No Reviews | Add Yours...