श्रीमद्भगवद्गीता वाक्यार्थ बोधिनि भाषा टीका | Shrimad Bhagvat Gita Vakyarth Bodhini Bhasatika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
340
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रघुनाथ प्रसाद - Raghunath Prasad
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)|, गीतावाक्यावबीधिनी भापादीका
उ पुत्र था, परंतु राजा छतराष्ट्र जन्मांध थे;इसवास्ते राज्यकाये
सव दुर्योधनके स्वाधीनथा,जव राजायुधिष्ठिरकों चापडखेलाई
छल कारिके राज्य लेलिया ओ वनवास दिया, जब ये वनवास-
से आये ओ राज्य मागा तब इन्होंने राज्य न दिया, इसलिये
चुद्धके वास्ते कुरुक्षेत्रकों चलने लगे;तब छुतरानेनी तयारीकी , ,
ब व्यासजीने कहा कि,तुम नेञ्नबिना युद्धमे क्या करागें? तब
धतराष्ट्रवोले की.हम युद्धकादचांतहीसुनाकरेंगि,लोलुनिकेव्या-
सझीने कहा की, यह संजय तुझारा सपरथी हमार शिष्प है,
इसको हप्षवरदान देते हैं सो इसको इहां्द, बेठे सब त्ृत्तांत ह-
प्िंगोचर होयगा, सो सुनिके राजा हतराष्ट्र हस्तिनापुरहीमेरहे
और सब कुरुक्षेत्रम जायकेयुड्का भारंभ किया तहाँ, अजजनने
देखाकि दाने सेनॉमेहसारेदी सुहूद,मसित्रओं कुटुंबी है, इनको
हम कैसे मारें ऐसा समुझिके घनुपवान डारि दिया ओ रथभेप-
श्राज्ञाग्मे जा बैठा, जब श्रीकृष्णने देखा कि, इस अजेनने अ-'
पना क्षत्रियधर्म त्यागी दिया ओ धर्मत्यागनेसे इसका कल्या-
णन होयगा.हसवास्ते,इसकों तत्वज्ञानका उपदेश करना-ाहि
थे, जब यह स्वधममें प्रवते होयगा, ऐसाविचारिके गीताशास्तर
पंदेशा किया, सोड़े गीता श्रीमन््महाभारतमे वेदव्यासजीनेय-
क्त किया, तिसमें सर्व छोक श्रीरप्णसुखारबिंदनिर्मित हैं जी
कुछ लोक परंध रचनाकेवास्ते व्यासजीने भी निमाण किय हैं.
7 पं प्रषम सछोफ एतरा्रके प्रश्नका है, छतराष्ट्र संजयसे पूंछाहे
मूलम- बे
शृतरा्ट्र उधाचा घमकेत्रेकरुक्षेत्रसमवेत्तायय॒त्स
चः ॥ मामकाःपांडवा श्वेवकिमकुवेतसं जय ॥ १ ॥
>ू
User Reviews
No Reviews | Add Yours...