औद्योगिक विकास | Audyogika Vikas
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
392
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
एम. आर. कुलकर्णी - M. R. Kulkarni
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भोला नाथ गोयल - Bhola Nath Goyal
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भाग | आधुनिक उद्योग का उत्थान उध्याय ॥ एक परिवर्तन आधुनिक उद्योग की ओर एक प्राचीन उद्गम प्राचीन काल से ही हमारे आर्थिक क्रियाकलाप हमारे समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना के ताने बाने में घुले-मिले रहे हैं । भारतीय लोगों के आर्थिक संगठनों और लक्ष्यों को संयुक्त परिवार प्रणाली जाति व्यवस्था आत्मनिर्भर ग्रामीण समुदाय अनेक प्रकार की वर्जनाओं और निषेधों से जुड़े सामान्य प्रकार के धार्मिक और सामाजिक अवरोधों आदि के संदर्भों के बगैर नहीं समझा जा सकता । यह बदलते हुए समय की आवश्यकताओं के अनुसार निर्मित एक सुदृढ़ सामाजिक व्यवस्था थी । यह तब तक समाज में होने वाले सभी प्रकार के उतार चढ़ावों को सहन कर सकती थी जब तक कि इसके सामने 18वीं शताब्दी के प्रारंभ में हुए आधुनिक यूरोप की औद्योगिक प्रणाली का अतिक्रमण प्रकट नहीं हुआ । भारतीय अर्थव्यवस्था यदि तत्कालीन परिस्थितियों के अनुसार इस तरह की अभिव्यक्ति ठीक हो की विशेषता बाह्य संपर्कों से वंचित आत्मनिर्भर ग्रामीण समाजों की बहुलता थी । जाति व्यवस्था के ढांचे के अंतर्गत पुत्र पिता का ही अनुसरण करता था क्योंकि प्रचलित विश्वास के अनुसार यह पूर्वनिश्चित होता था कि प्रत्येक व्यक्ति का भविष्य में जीवन कैसा होगा और वह क्या कार्य करेगा । ये सब उनके कर्म ही थे । जाति के अंतर्गत संयुक्त परिवार थे जहां इसके सभी सदस्यों को न्यूनतम आवश्यक सामाजिक सुरक्षा
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