पद्य प्रमोद | Padaya Pramod
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
43
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about जगन्नाथप्रसाद चतुर्वेदी - Jagannathaprasad Chaturvedi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४ पद्म-प्रमोद ४
उन
क्तोडार
+*--क्कैन कपिल
छप्पय
समय-चक्रमें पड़े पतित हैं माने जाते |
श्वानोंसे भी निम्न सदा हैं जाने जाते।
अन्त्यज अधम निरूष्ट -रूप अजुमाने जाते।
देनेको दुख इन्हें ठान बहु ठाने जाते ॥
है कतेब्य कर सकल, काय्ये समाज-सुधारका 1
आन्दोछन अति उचित हो, सफल अछूतोद्धारका ॥
परमेश्वर करुणानिधान हों सदय हमारे ।
भागे भय-तम, भाग्य-सूर्य हों उदय हमारे ॥
पुलकित हों जातीय प्र मसे हृदय हमारे ।
आज्ञाचे तो निकट अभिल्रंषित विजय हमारे ॥|
रखना जीवित जाति है--तो आडम्बर जीण ता।
छोड़े हिन्दू शीध्ष ही साप्राजिक संकीणता ॥
विभिन्नताका भेद-साव क्यों बढ़ता जाता ।
रंग शानका, विषम समोंपर चढ़ता जाता ॥
पण्डित पूज्य समाज मोहमें मढ़ता जाता ॥
अपना वह प्राचोन पाठ हो पढ़ता जाता।
जाति समाज खदेशकी, नहीं दशा है देखता।
या लखकर लोहा अगम अपरमस्पार न लेखता ॥
की ककना कल या कला ्
User Reviews
No Reviews | Add Yours...