गुप्त चिट्ठी | Gupt Chithi

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Gupt Chithi by श्रीयुत विजय रतन - Shriyut Vijay Ratan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गुप्त चिट्ठी के सासमे कद्ा--तुम उत्तरमें लिण दो, यह तुम्दारे पढ भेफका समय है, इतनी वडी चिद्दी लिखकर समय नए से ऋकरो। फेवल पक पोस्टकाड में यह ल्खि दिया करो, फि छुम फंसे दो। समम्दी ! माँथा झुफाकर चली आयी। में तो उन्हें यह न कह सकी, कि तुम्हारा लडफा रातभर पढा फगता है, सवेरे के समय जरा सोता है, सो न सो फर, उसने यद चिट्टी ल्फी है। उससे पढाईमें कोई हानिन पहुच्ेगी। यह बात ऋटती भी तो थे समभ्ध्ती, कि नही, इसमें सन्देह है। यददी फकह्टती--ऐ | सोनेफे समय न सोकर 1 आज सवेरे ही मु्े पुारफर उन्होंने फिए फद्दा है-- चिंद्दी छिल्ल दो यह ? झुझे फिए बायी ओर साथा रुफाते देखकर थोलीं-- जाकर ल्पि दो। भरत बाजार जाने समय टाकसानेमें छोड भायगा । लिप्त देती हँ---फदकर अपने कमरंमें जाना दी चाहती थी, कि फिर उन्होंने पुकारा-न्यट्ट उनके पास जानेपर चोकी--इस दं॑गसे मत ठिलो, कि मेंते यद यात कटी है। तुम इस तरदसे ६२६1




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