त्रिष्ठी स्मृतिशास्त्रम् | Trishthi Smritishastram
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
149
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)त्रिपष्टिस्पृति शाखम्_ ) 1२३ ]
पुष्कछ वर्ष राज्यसुख मोगल्यायर एकदा त्याने छगाची गधर्य
नगरी विलयाला गेलेली पाहून वैद्यग्य धारण केलें व मुछाद्य गादी
वर बसबून दीक्षा घेतछी, तपश्चर्या करून धर्मतीर्था्चे भर्र्तन केलें
व मोक्षाह्वा गेरा, तो अभिनदन संद्या आनदकारी हे वो,
इति श्री अभिनन्दनाध्तखतु्म् ॥ १ ॥
अ्राता भाग्यातऊीखण्डमेरीः प्राकइप्कलावरती ।
श्रिताया पृण्डरीफिण्याँ रतिपेणी विरज्य य ॥१॥
अखड घांतकी खडात, पूर्यमदराचात्या पूर्वेस परष्कछायती
देशातील पुडरीकिणी नगरीत ग्तिपेण नामक राजा होता, त्यान पुप्कव्ठ
सुर्खे भोगन्यायर त्याद्य विरक्ति उत्पन्न झार्ली तर अतिरथ नामक
पुतला गादीयर बसवून त्याम अर्हन्दन मुनीजयछ दीक्षा घेतली,
निजाईनन्दनाभ्यर्ण विदिवेफादशाइगकः ।
यद्धतीर्थकरत्वो धगाँदिमियन्ते 5हमिन्द्रतामू ) २ ॥
एफादशांगार्चे अध्ययत करून त्यान तीर्थरूकर्म बाये
व सन्यासपूर्षक देहत्याग केन्यायर तो उैजयत रिमानात अहवमिंद्र देव
पाला,
चुँतो मेघरथायोध्यापतेर्मूत्वात्र राज्यतः ।
” स्वये पिरज्य चाईन्त्यं शाप्तस्त सुमति स्तुमः ॥ ३ ॥
तेथून'अयोष्यानंगराचा राजा मैथरथ व राणी मग शा योच्या पीटी
३ पूर्व. २ पूर्वदिंदेह. ३ च्ाता, ४ दिवीशानुत्ते, *५मगदांगरज:,
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