गाथाएँ सपनों की | Gathaen Sapanon Ki

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Gathaen Sapanon Ki by सोमदत्त - Somadatt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जेनी के लिए जेनी ! दिक वरने को पृष्ठ तुम सक्ती सवोधघित करता हूं गीत क्यो जिनी को, जवकि तुम्हारे ही यातिर होती मेरी धड़कन तेज, जबकि कलपते हैं बस तुम्हारे लिए मेरे गीत, जवकि तुम, वस तुम्दी, उ हे उडान दे पाती हो, जवकि हर अक्षर से फूटता हो तुम्हारा नाम, जवकि स्वर स्वर थी देती हो माधुय तुम्ही, जबकि सॉप-सास निछावर हो भपती देवी पर / इसलिए कि अद्भुत मिठास से पगा है यह प्यारा नाम, और कहती हैं कितना कुछ मुझसे उसकी लयका रियाँ, इतनी परिपूर्ण, इतनी सुरीली उसकी ध्वनियाँ ठीक वेसे जसे कही दूर, आत्माओ की, गूजती स्वर वलियाँ मानः कोई विस्मयजनक अलौकिक सत्तानुभूत्ति, मानो राग कोई स्वर्ण तारो कै सितार पर । । (१८३६)




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