बूँद - बूँद | Boond - Boond
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
782 KB
कुल पष्ठ :
100
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अब तक नहीं अँधेरा भागा
अब त्क नहीं अँधेरा भागा।
दीपक प्रतिदिन सहस जलाते।
भीतर के तम को हरने को।
प्रेम-ज्योति अंतस उजियाते ।॥1
भीतर का अँधियारा गहरा।
कव तुमने पहचाना इसको।
सोमवती मावस की जणह।
एक शरद-पूनम बन जाते।1
उल्का बनकर छिटके नभ से।
पर पहुंचे भू तक भी कब तुम
कितना अच्छा होता तप करा
ध्रुव बनकर टि्मिटिम मुस्काते 11
खुद जल-जल कर भस्म हो गये।
जैसे दावानल से जंगल।
अग्निपुंज होना ही था तो।
बूँद-बूँद : 25
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