लोकप्रकाश ग्रन्थ भाग ३-४ | Lokprakash Granth Bhag-3-4
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
802
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न योजना, | जैनेतर योजना, | जैन अने
समवित ) जैनेतर «
क्रम.| नक्षत्रों भाग. विभाग भाग [रव्रिमागेमा भाग | भाग. | अधिष्ठाता | तारा, बण,
(तारात्मऊ), सरवादो.- सरवाछो देवता.
ः ४२ ४२ | ब्रह्मा ३
धर १७६| ४२- १७६(१३४ | विष्णु ३
१७६- ३१०| १७६- ३१०३४ | बहु,
1
३१०- ३२७७ ३१०- ४९४४(१६४ | वरुण १००
३७७- 4११ ४४४- ५९७८॥१३४ | श्रजेकपाद | २
६११- ७१२| ९५७८- ७१२(१३४ | भद्दिबुष््य | २
७१२- ८४६॥ ७१२- ८४६(१५४ | पृषव् ३२
<४६- ९८० ८१६- ९८०१३४ | अश्विन ३ (२/)
९.८०-१०४७| ९८०-१११४/१३४ | यम हा
१०४७-११८१|१११४-१२४८१३४ | शगि ६ (७९)
११८१-१६८२(१२४८-१३८२ १३४ | प्रजापति 4. (रक्त)
१३६८२-१९१६॥१३८२-१५१ ६१३४ | सोम ३
१९१६-१९ ८३१९५ १६-१६५ ०१३४ | रुद्र १ (रुथिर)
१९८३-१७०८४(१६९०-१०८४(१३४ | भदिति | ४ (२१)
१७८४-१९१८१७८४-१९१८१३५ | इदस्पाति 1
१९१८-१९८९(१९१८-२०५९२(१३४ | सर्प ६ (६०७११ ०१)
१९८९-२१ १९(९०९२-२१८६|१३६४ | पिह ६
1२१६९-२२९३|१२१८६-२३२०१३१४ | भग र्
२२५९३-२४५४(२३१०-२४५९४ १३४ | अयेमा २
२४ ् ६८८(१३४ | सबिह ब्
२५८८--२७२२(२६८८-२७२२१३४ | छष्टू १ (युक्ता)
२७२२-२७८९(२७२२-२८५६१३४ | वायु १ (बाल)
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