लोकप्रकाश ग्रन्थ भाग ३-४ | Lokprakash Granth Bhag-3-4

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Lokprakash Granth Bhag-3-4 by विनय - Vinay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न योजना, | जैनेतर योजना, | जैन अने समवित ) जैनेतर « क्रम.| नक्षत्रों भाग. विभाग भाग [रव्रिमागेमा भाग | भाग. | अधिष्ठाता | तारा, बण, (तारात्मऊ), सरवादो.- सरवाछो देवता. ः ४२ ४२ | ब्रह्मा ३ धर १७६| ४२- १७६(१३४ | विष्णु ३ १७६- ३१०| १७६- ३१०३४ | बहु, 1 ३१०- ३२७७ ३१०- ४९४४(१६४ | वरुण १०० ३७७- 4११ ४४४- ५९७८॥१३४ | श्रजेकपाद | २ ६११- ७१२| ९५७८- ७१२(१३४ | भद्दिबुष््य | २ ७१२- ८४६॥ ७१२- ८४६(१५४ | पृषव्‌ ३२ <४६- ९८० ८१६- ९८०१३४ | अश्विन ३ (२/) ९.८०-१०४७| ९८०-१११४/१३४ | यम हा १०४७-११८१|१११४-१२४८१३४ | शगि ६ (७९) ११८१-१६८२(१२४८-१३८२ १३४ | प्रजापति 4. (रक्त) १३६८२-१९१६॥१३८२-१५१ ६१३४ | सोम ३ १९१६-१९ ८३१९५ १६-१६५ ०१३४ | रुद्र १ (रुथिर) १९८३-१७०८४(१६९०-१०८४(१३४ | भदिति | ४ (२१) १७८४-१९१८१७८४-१९१८१३५ | इदस्पाति 1 १९१८-१९८९(१९१८-२०५९२(१३४ | सर्प ६ (६०७११ ०१) १९८९-२१ १९(९०९२-२१८६|१३६४ | पिह ६ 1२१६९-२२९३|१२१८६-२३२०१३१४ | भग र्‌ २२५९३-२४५४(२३१०-२४५९४ १३४ | अयेमा २ २४ ् ६८८(१३४ | सबिह ब्‌ २५८८--२७२२(२६८८-२७२२१३४ | छष्टू १ (युक्ता) २७२२-२७८९(२७२२-२८५६१३४ | वायु १ (बाल)




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