रहिमन विनोद | Rahiman-vinod
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about अयोध्याप्रसाद शर्मा - Ayodhyaprasad Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १५ )
गये फी पहले पहल डुमरॉव निवासी १० नकछेदी तिवारी ने प्रकाशित
कराया था। इसमें कवि ने रक्षण न देकर उदाहरण माव दिये हैं । यह
/ बड़े आनन्द का विपय है कि हस्तलिखित प्रथ मिछ जाने से इस बार इस
; गूथ की इन्दु-सरया ११४ तक पहुँच राई हं ओर पाठ भी शुद्ध हो
/ गया है । '
मदनाएक । इसका सम्पाइन भी एक हस्तलिखित पुस्तक के
आधार पर किया गया है ।
... रास पचष्यायी | यह प्रथ अग्राप्य हें। भक्तमाल की टीका में
जो ठो पद पाये जाते हैं वे 'रास-पचाध्यायी? के क्ह्टे जाते हैं । थे फुटफर-
सगद् में दिये गये हैं ।
श्यगार-सेरठ । साएखाना के इस गूथ का उल्लेख शिवसिह
सेंगर ने अपने सरोज स क्या हैं परन्तु जब तक यह ग्रन्थ प्राप्त नही
हुआ है । इनके सोरठो सें से कुछ सोरठे अछग करके इस ग्रन्थ का स्वरूप
खड़ा किया गया है। इसमें सन्देह नहीं कि यह सोरठे इतने चमत्यार पूर्ण
हैं कि सानसाना के दूसर सोरठों के साथ नहीं मिलाये जा सकते। ये
सोरढे इस बात को प्रमाणित करते हैं. कि ख्तारिक सोरढों की रचना
रहोम ने अलग ही की होगी ।
फुटकर-काव्य । रहदीम की कुछ हिन्दी की फुटकर कविता भी पाई
गई हं जो 'फुटकर काव्य” झीर्पक के मीचे एक्य कर दी गईं ६ ।
रहीम काय | इस गृन्य में रहीम के संस्कृत छोकों या संगूह
है। “बरेटकाहुकआतकम! से यद् तो निर्विवाद सिद्ध ६ कि ग्यानयाना ने
संख्त में भी कविता की है। मेरे अनुमान से 'रष्तीम-फाप्य/ नाम
का गृन्य तो रहीम ने कोई छिखा नहीं परन्तु मनोविशेद के लिये संस्कृत
भौर संस्फृत हिन्दी मिश्षित छोको की रचना अवश्य की होगी । इन्हों ब्लोफी
का संपूह इस नाम का काब्य प्रन्थ समझना चाहिए 1
हे
User Reviews
No Reviews | Add Yours...