कल्याणी | Kalyani

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Kalyani by जैनेन्द्र कुमार - Jainendra Kumar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पूछा । मासूम हुप्ा कि छब प्राशन्द है 'ब्ययसताथ ? जी हाँ सब / प्रापकी कृपा है। सब ठीक है। उर्होंने हमारे परिषार का संदाद पूछा ( भौए सब कुशशता चागकर प्रसंम्नता प्रकट की । सेकित मेरा मत्त शौटकर कुछ हर्प प्ननुमद्र महीं कर रहा था भैतते | बॉक्टर प्रतमने हों भौर में उन्‍हें रथ न रहा हैं. ब्ेसे कुछ उर्हें म॒ रच रहा हो। इनसे मिप्तते पर मैं यह भी नहीं जात सका कि उनके पाएगा | उन के दिए मैं क्या काम झा सकता हैं। प्रपते भौर उतके बीच मैंगे इस बाए झूछध स्पयधान धनुमद किया थो भुझ्े प्रीतिकर भ हुआ। शेकिल | मुझे कुछ पूम्य गई कि बया हो सकठा है भौर मुझे बया कराना भाहिए। कर! इसके को आर-एक रोज़ बाद भीपषर छबर सेकर प्राय कि श्रीमती प्ंसरामौ एक कोठरी के प्रप्दर बन्द पड़ी हैं. उत्हें हूब मारा गमा है भौर दो रोड से उतहंनि कुछ स्ामा पिया नहीं है) हैं घीषर को जागता है। मैने कहा--भऔषर, क्‍या फिडस भकते हो! बह तो कराती थीं। कड सौटीं सीघर से कहा--कराच्री | कराची जया होता है ? मैंने कहा--सुम्हें रहीं माक्तूम ? बह करा पयी हुई थी न ? अपर बोसे--कूब । प्री बह सहर से कहौं बाहर सही मर्यी । कई रोज घर ते गायद छछर रहीं। लेकित रहीं महीं कहीं । मिर्सी तो पद्दि ने उड़ी छबर क्षी । कह तो रह्दा हैँ कि बह प्रण कोटरी में मुँदौ पड़ी हैं प्रौर दो रोज से लाता धक महीं शापा है । मैंने कह्टा--हिंप कहते बया हो ? प्रमी चौपे दिन को बात है, बुर रॉक्टर ने दताया कि दैस ययी हैं, पाते में दो हफ्ठे समेंगे । झीषर हँसने लवे। “ वैते स्पग्र द्वोकर पूणा--ठो क्या तुम्हारी बात उच है ? सकी जो, दोकर प्र तुम्हा है? थक प्रीषर ते सहा--सच गहीं तो गया मैं भू जी कहता हैं ? इस पर मैं इरादे के छाद पनके दबाणाने गया | वहाँ पहले को माँधि डर भछरानी भप्रकेते जैठे पे । मुफ्े देशकर कहने शंगे--साइए, श्र




User Reviews

  • SWEETY KOLI

    at 2021-02-25 10:05:55
    Rated : 8 out of 10 stars.
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