कथा राम की | Katha Ram Ki
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
208
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दासी-1
दशरथ
दासी-2
दशरथ
दशरथ
सुमन््त :
दशरथ :
बुमन्त :
: मुनि ऋष्यस्शग, कौशलपुर, कैकई-प्रदेश, और सुमित्रा देवी के
दशरथ
नागरिक :
स्त्रियाँ:
पुरुष :
कथा कम का [| <।1
करना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति सता।
सो भय हित लागी जन अनुरागी भय प्रगट थ्रीकंता ॥
: बधाई हो महाराज । महारानी कौशल्या ने पुश्र को जन्म दिया है।
: प्रभु । आपकी कृपा ।
* बधाई हो महाराज 1 महारानी कैकई ने पुत्र को जन्म दिया है ।
दासी-3 :
बधाई हो--बधाई । महाराज आपकी रानी सुमित्रा के दो प्रश्न
हुए हैं ।
: महामंत्री ।
सुमन्त :
: सुमन््त जी । ब्राह्मणीं को उपहार भेंद किए जाएँ । राज्य के निर्धन
बधाई हो महाराज । बधाई।
परिवारों मे मेरे व्यक्तिगत कोप का सम्पूर्ण धन बाँट दिया जाएं।
राज्य के समस्त अधिकारियो और कर्मचारियों का पारिश्रमिक
बढ़ा दिया जाए।
जो आज्ञा महाराज ।
और सुनो । मंदिरों में विशेष पूजा की जाएं। बंदियों को काराग्रह-
से मुक्त कर दिया जाए।
जो भाज्ञा ।
यहाँ सदेश भेज दिए जायें।
[नागरिकों का प्रवेश ।]
बधाई भइया । बधाई हो । भदया नाचो-गाओ |
राजा के जममे हैं राजकुमार, < ५»
सखी, संग-संग ताचो।
ऐ राजा कै जनमे राजकुमार, ५
कि भेया हम-संग नाचो ५
[मंच एक पर प्रकाश, /
गोत है
जागिए कृपानिधान_ जानराय रामचन्द्र |
जननि कहे वार-वार, भोर भयो प्यारे
राजिव लोचन विसाल, प्रीति-वापिका मराल।
ललित कमल-वदन ऊपर मदन कोटि वारे॥-
बोलत खग निकर मुखर, मधुर करि प्रतीत सुनहु
स्वजन, प्रान जीवन घनरु मेरे तुम बारे
भनहें वेद बंदी झुनिवुंद सुत मागधादि
बिरुद-बदन जय जय जय जयति कैट भारे।«
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