भाग्य-चक्र | Bhagya Chakra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उफ नीलिमा तेईस
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रुपया वसूल किया जा रहा है। शआआप लोगो ने रुपया का
क्या इन्तजाम किया या नहीं ?
माँ--कुद्य भी नही बेटा ! घर में एक पैसा भी नहीं है।
अभी तक बैठी यही सोच रही हूँ । ;
सुगेश--यह तो बडी सुश्किन्न फी बात है|
उसी समय नीलिमा की माँ को पडोसिन ने बडे जोर से
चिल्ला कर बुलाया । उसके लडके को फे-स्त हो रहें ये। लड़के
का घुरा द्वाल था ।
यह फहकर वह चली गई । नीलिमा भा जाने लगी। यह
देख उसने कह्ढा--बेटी, तू यही पर रठ । मै अभी आती हूँ। ,
इसके चले जाने पर सुरेश बाबू मे नीलिमा से फहा--
मुमे प्यास लगी है, थोडा पानी दो ।
नीलिमा ने भीतर से पानी लाकर दिया। पानी पीकर
सुरेश बाबू ने ऊद्दा--'तुम्द्दारा नाम नीलिमसा है !”
नीनिमा ने मदस्वर मे फहा--हाँ ।
उस मधुर कठ से हाँ सुनकर सुरेश बाबू मुग्ध हो गये ।
सुरेश वाजू ने कहा, तुम्दारी माँ रुपयों के लिय चिन्धित हो
रही हैं । तुम रुपया लोगी
नीलिमा--मैं रुपया तेकर क्या उरूँगी ? ज़रूरत पडने पर
माँ लेगी ।
सुरेश बापू ने हँस कर कट्दा-तुम्दारी माँ एडी हुई
आज नही, छल नहीं का दिसाव है। उन्हें उधार देने में छर
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