मिताक्षरा स॰ का मूलषित भाषा अनुवाद | Mitakhsara S॰ Ka Mulsahit Bhasha Anuvad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
121 MB
कुल पष्ठ :
1264
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मिताक्षरा स० के परिच्छेदों का सूचीपत्र ।
4.1] नासानि
हातिसमस्तदायभागममा। पक रणएम्
उक्ति । कओ । परिच्छेदानानामानि
व कि का -८
२० 2१ दातघमाहवय विवाद परिच्छेद:
! इतिशुतसमाहतरयप्रकरणमस
रुप | ८६ | याकप रुर्ष्यावबादे पांरच्छेद:
इतिवाकपारुप्यविवाद पक रणम्र
२ ०० । दड़पारुष्यनामकाबबाद पारच्दंद:
इतिदंठ पारुष्याविवादप्रकर ण ए्
३० | »८ | साहसनामधियादे परिच्छेद:
२३ | “८ | उपप्ताइसरूपऊुफ्मांणां परिच्छेद:
इतिसाहमोपसाइसयोःएकरणम्र
१ (५० | किक्रीयासप्रदानत्रिवादे परिच्छेद:
इतिविक्रीयासंप्रदानपूकरणम
६ | ५८१ | संभयसमतयानकर्माणशिवाद परिच्छेद
शतसभ यस्तछुत्था न एकरण प्
१२ | ८५२ | चौंणंयिवादे स्तेयनामक परिच्छेद
इतचाय|बबादएकरणम
१८ | ८६३ | परस्त्रोसग्रदणास्यविबाद परिच्छेद:
शतपरसासग्रदण प्रकरण म्
८ (८३3। नपाश्य विश्ि्व्यत्रह्राण्ा परिच्छ
इतिपूकीणसंबराजवादे प्रकरण म्
इतिव्यवहार।ध्याय स्पालुक्रमणि का समा प्वा
___ मिताक्षरासः>काआशयएष्ठटांक सूचीपत्र | _
१३१ ३8 | ६३ | सीसा निर्णायक चिंहन प्रदर्शन पारिछद
४३६ | २८ | ६४ | सीमा चिहुनाभाषे नर्णयांपाय पारचछद
७४३ [9 | ६५ सीमाज्नावतावह नयोरभावीनिणयप्रकाग्पार छद .
५४६ | ९१ | ६६ | गृहादि सोमास्थपपएर्वावरवरातद'य पारच्छद
इतिसीमाबिवादपूकर एम्
४१६ | १४ | ६० | परण््यतिक्रमें स्थामिपालद डात्राघ पारच्छर .
५६३ | १४ । ६८ | पशनष्टमतरतमपालाबबाद परच्छद
| इतिपशब्याक्तक्रमवादपूक रण भ््
पृ६८८ | २१ | ६4 | अस्वामावक्रयावचाद परच्छ३,
। रत्यस्वामिविक्र पपूररण प्
५८० ' २ए | ५० | दानविबादें देयादेयादिलक्षणभेद परचछ :
। इतिदानावैबाद प्रकरण प्
५९४ | ९ | ०९ | क्रीतानुशय विधादन मऊ परिच्केद:
इतिक्रातानु शयव्यव दार पुर रणम्
६०२ | ९६ | 3२ | सेवाधम जिवादे अभ्यपेन्याशश्रपा परिच्छ३:
! इतिसेवाधमाषिवादप्रररण प्
&६२० , ९० | ४३ | सविहर्यातक्रमनाम अबाद पारच्छ
इतिसंविदय तिक्रमा रूयप्रकर सम्
६३४ ०४ | बेतनादानविवादें परिच्छेद३
| इतिवेतनादानप्रकरणम
हट क्ति हू. 1;
१ | १८
३ | ९० | सभाखद लचणशम
४१ | सभ सदा सम््या
४ । १२ | नियक्ता निवक्त सभाखदभ
५ पृ. सभाया वर्णिग्नन प्रय॑ंय
४ । १० | सभायागनुकल्प:
६ । १ | प्राइवियाक्न लकणम
० | ९२ | सम्या ना दम;
८ १९ । व्यपहार विषयों दितोय: एरिव्छेद (२)
८ । १३ | व्यवद्दार स्व पम्त
८, +१ | व्ययच्ररश्य दू विध्यप्त
ढ् । १३ | व्यत्रहारस्थ अशदण भेद:
१० | र८ | व्यवदह्यायः स्वयभेय राज्ानोःप.दनीय,
१० । ३९ | एन बादिना या यहुलनिय्य घदार:
१२ | १४ आःक्त्वानविपवल्लृतोयर्परच्छेद, (३)
(२ | ३१ | झार्यायिनिप्र जप्रफार,
२
प्रत्यर्थिनग्राइवानप्रफार'
आया:
अनाइहयानयोग्या:
ग्रनाहवान यीग्या
आसेध प्रकार: ( घेरना--पफडना )
ग्नासेध्या
भाषा पादनामक चतुर्थ परिच्छेद: ( ४ )
प्रत्ययिन्यागते लेख्यादि कतब्यता
हीनपत्तीलल्षणएं---सचपचविध:
आधिभाषा लेख्यलक्षण ( इजहार मुद्ई )
पत्माभास विवेक:
अनादेय व्यवहाराणा विधेक
अ्रनादेय व्यवह्ाराणा पनवियेक्
अधिस्यानेःत्पज्पा त्रादयोंप्यमी ता
ग्रायस्याने प्रतिनिधि रफपिभन्रति
अधिभाषा गीधन प्राइघियाय: फ्यात
आय भाषा गायन च उत्तर दण्मनात्ग्रागव
प्रत्याधचन उन लंखनम
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