अथ अर्कप्रकाश प्रारम्भ | Ath Arkprakash Prarambh
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
277
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १२ )
दक्षिण ओर उत्तर दिशा में उत्पन्न द्रव्य |
तत्कालोष्ण द्षिणन परिणामेंतुशीतलूम् ।
घनदाशासप्ुद्ध त विपरीततयास्प्रतम् ॥३७॥
दक्षिण दश में उत्पन्न हुई औषधि तत्काल अथीत् उखाड़ते
ही तो गरम होती ढे और परिणाम में अथीत् उखाड़नेके कुछकाल
उपरान्त शीतल हाजाती दे और उत्तर दिशा में उत्पन्न हुई औषधि
विपरीत गुण वाली होती हे अथात् उखाड़तेही शीतल और परि-
णाम में गरम होती है || ३७ ॥ ,
अन्तवंदी औषधि ।
अन्तर्वे दिभवंसब॑यथोक्तगुणमा दिशेत ।
विपाकस्तुत्रिधाप्रोक्तःस्वाइम्लकठुकात्मक॥॥३८।
अन्तवेंद अथात् मध्यदेश में उत्पन्न हुई औबाधि में यथोक्त
गुण होते है और उसका विपाक तीन प्रकार का है यथा-स्वादु,
अम्ल और कटठु | १८ ॥
रसो के विपाकका वर्णन ।
क्रमाद्धीनवलोज्नेयोमधुरोमधुर;कटु: ।
पचत्यस्लोम्लमितरेरसा:कटुकपाकिन! ॥३९॥
मधुर, अम्ल, और कटु इनमे एक की अपेक्षा एक हीन वी
( अथात् न्यूनबल वाला ) होता है | मधुररस पहले मीठा होता
है किन्तु पाक के वश से कडवा होजाता है, अम्ल ( खट्या ) ही
रहता है ओर शष चार अथीत् तिक्त लवण, कठु और कषाय इन
का विपाक बहुधा कडवा हाता है ॥३<॥
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TANMAY Gaikwad.
at 2020-09-23 18:40:45"Wrong Book name "