ठाणं | Thanam

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Thanam by आचार्य तुलसी - Acharya Tulsiमुनि नथमल - Muni Nathmal

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आचार्य तुलसी - Acharya Tulsi

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मुनि नथमल - Muni Nathmal

मुनि नथमल जी का जन्म राजस्थान के झुंझुनूं जिले के टमकोर ग्राम में 1920 में हुआ उन्होने 1930 में अपनी 10वर्ष की अल्प आयु में उस समय के तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टमाचार्य कालुराम जी के कर कमलो से जैन भागवत दिक्षा ग्रहण की,उन्होने अणुव्रत,प्रेक्षाध्यान,जिवन विज्ञान आदि विषयों पर साहित्य का सर्जन किया।तेरापंथ घर्म संघ के नवमाचार्य आचार्य तुलसी के अंतरग सहयोगी के रुप में रहे एंव 1995 में उन्होने दशमाचार्य के रुप में सेवाएं दी,वे प्राकृत,संस्कृत आदि भाषाओं के पंडित के रुप में व उच्च कोटी के दार्शनिक के रुप में ख्याति अर्जित की।उनका स्वर्गवास 9 मई 2010 को राजस्थान के सरदारशहर कस्बे में हुआ।

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( कप कं तीन प्रकार के पात्र चन्त्र-घारण के कारणों का निर्देश आत्मरक्षक--अहिला के आलम्बन विकटदत्तियों के प्रकार सामोगिक को विस्ाभोगिक करने के कारण बनुना के प्रकार: समनुज्ञा के ग्रकार- उपसपदा के ग्रकार_- विहान (पद-त्याग) के प्रकार वचन के प्रकार अवचन के प्रकार मन के प्रकार अमन के प्रकार अल्पवृष्टि के कारण महावृष्टि के कारण. - 4 प्<्‌ फ् छा जप प्द ८ 5 शत न रिई क ब्रा. ए प्त रो का पत्ता पी ध्८ # च्ड > 4 #अ>थ ध्ए न) छः 1 क्र दू स्द ८6 था 0 छा रा कक १० ढगी कारण देवता का मनुष्य-लोक मे भा सकने के कारण देवता के स्पृहणीय स्थान देवता के परिताप करने के कारणो का निर्देश देवता को बपने ध्यवन का ज्ञान किन हेतुओं से? देवता के उद्विग्त होने के हेतू विमानों के स्थान विमानों के माघार विमानों के (प्रयोजन के आधार पर) प्रकार चौवीस दडकों मे दृष्टिया दुर्गंति के प्रकार ३ सुगति के प्रकार . दुर्गत के प्रकार न सुगत के प्रकार विविध तपस्यात्री मे विविध पानको का निर्देश उपहृत भोजन के प्रकार मवगृहित भोजन के प्रकार अवमोदरिका के प्रकार उपकरण अवमोदरिका नप्रशस्त मन स्थिति प्रशम्त मन स्थिति शल्य के प्रकार विपुत्र तेजोलिस्या के अधिकारी त्रैमासिक भिक्षुप्रतिमा इंघ८-३८६ एकरात्रिकी सिक्षुप्रतिमा की फतद्ुत्ि कक >तए दा चए नी की इगे न्क्ती ध्द के हज #( नए जय रह शरशछ रए 0. गत ४7. ॥0 7 ८5 न 2 डरे ५ 5 ॥ फ्ठ देवता का मनुष्य-तोक में नहीं आ सकने के २७ ) ६०-२६१ कमंगमूमि ६३२-३६४ व्यवहार की क्रमिक भुमिकाओ का निर्देश ६५-३६६ विभिन्‍न दृष्टिकोणों से व्यवसाय का वर्गीकरण ४०० अर्थ-प्राप्ति के उपाय ४०१ पुद्गलो के प्रकार ४०० नरक की तिप्रतिप्ठिता और उसकी मपेक्षा ४०३-४०६ मिथ्यात्व (असमीचीनता) के भेद-प्र भेद ४१० धर्म के प्रकार. ४११ उपक्रम के प्रकार ४१२ वैयावृत्य के प्रकार ४१३ अनुग्रह के प्रकार ४१४ अनुशिष्टि के प्रकार ४१५ उपानम्भ के प्रकार ४१६ कथा के प्रकार ४१७ विनिश्चय के प्रकार डपृ८ श्रमण-माहन की पयु'पासना का फल ४१६-४२१ प्रतिमा-प्रतिपन्‍्न अनगार के आवास के प्रकार ४२२-४२४ प्रतिमा-प्रतिपन्त अनगार के सस्तारक के प्रकार २५-४२८ काल के भेद-प्रभेद ४२६ वचन के प्रकार ४३० अज्ञापना के प्रकार ४३१ सम्यक के प्रकार ४३२-४३३ चारिकत्न की विराघना गौर विश्ञोधि ४३४-४२७ आराधना और उसके भेंद-प्रभेद ४२८ सक्‍लेश के प्रकार ४३६९ अमक्‍्लेश के प्रकार ४४०-४४७ ज्ञान, दर्भन और चारित्न के बतिक्रम, व्यतिक्रम, मतिचार और अनाचार का वर्णन ४४८ प्रायश्चित्त के प्रकार ४४६-४५० अक्मभृमिया, ४५१-४५४ मदरपर्वत के दक्षिण त्तया उत्तर के क्षेत्र और वर्षंघर पर्वत ४५५-४५६ महाद्रद् बौर तत्नस्थित देविया ४५४७-४६२ महानदिया और अन्‍न्तर्न॑दिया ४६३ घातकीपण्ड तथा पुप्करवर द्वीप में स्थित क्षेत्र आदि ४६४ पृथ्वी के एक भाग के कपित होने के हेतु ४६४५ सारी पृथ्वी के चलित होने के टेलु ४६६ किल्विपिक देंवो के प्रकार और आवास-स्थल ४६७-४६६ देव-स्थिति ४७० प्रायश्चित्त के प्रकार ४७१ अनुद्घात्य (गुरु प्रायश्चित्त ) के कार्य ञ् हू डे




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