ताजिक नीलकंठी | Tajika Neelakanthi

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Tajika Neelakanthi by पं नारायणप्रसाद सीताराम जी - Pt. Narayanprasad Sitaram Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जसे मोरों में शिखा प्रधान है और जैसे सर्पो' में मणि तद्वत्‌ वेदाज्नशात्ों में ज्योतिष शास्त्र शिरोमणि है, इसी के द्वारा पर्टित जन भूत, भविष्य, वत मान कहने में समथ होते हैं विशेष विचार करने से ज्ञात होता है कि ज्योतिष | शास्त्र ही विद्वान की प्रतिष्ठा आदि का कारण है, इसी की पढ़कर पूर्व विद्वान त्रिकालक्न कहलाते थे, उत्त ज्योतिष शास्त्र में भी अ्रनेक विषय हैं, जेसे गणित, मुहूत , प्रश्न, स्वर, शक्ुन, जातक तोनिक्त उत्पादि यक्शां ताजिक विषय में तानिकरालंकार, ताजिक्देपण, ताजिकसिन्धु, तोजिक केशवी, ताजिक शे/ण, वाजिउसुधाणंव, ताजिकरत, दाजिकृतत्व, ताजिकप्रकाश, माप्रकाशिनी, । हायनरत, हायनसुन्दर, ताजिकनीलऊण्टी तॉजिक ग्रन्थों में इक्कवाल,हईत्थशाल, इमराफ झादि पारसी शब्द वहुतसे आये हैं इसका कारंण यह है कि-- ब्रह्मणा गदितं भानोर्भानना यवनाय तत्‌ । यवनेन च यद्रोक्न ताजिकं तत्नचक्षते ॥ ५ ॥ ब्रद्माजी ने जो सूय नारायण से कद्ठा, वह स+' ने यवनाचाय,. को उपदेश या झौर ययनाचाय ने जो वर्णन किया उसी को ताबमिक कहना चाहिये, तानिकक टोइगानद,रोगक,हिल्वान, दूमु ख,धिपणा आदि आचाय हैं.ये आचांय प्राप्रण थे हम कारण यहां पारसी शब्दों के कथन में दोप नहीं । फले प्राप्ते मूले कि प्रयोजनम ॥ फल प्राप्त होने यें मूल से क्या अ्योजन इत्यादि । मम्पूणे ताजिक गन्यों में, ताजिकनीलएटी अत्यन्त प्रसिद्ध और माननीय | झधह है, निममें नीलकूणट देव ने बर्न्र द्वारा पत्येफ वर्षषा फल दर्षणयत्‌ दग्शाया है। प्रस्य्ता ने रस ग्रन्‍्व को सीन तन्त्रों में भक्त झिया है, प्रथम सन्नातन्त्र, जिपम गरिम्याप बंप पद्माक्रम ग्रदम्पे्ट. करण भावनावन पचिवर्गी बलप्रकार दीादिशयां बसे ग्ररइट्टि, ग्रहस्वस्प शायक्रल, भोदेशयोग, सहस, दशाप्रकार, | दाप | हार्ट सातंन, माय प्रयेश, दिन गयादि गग्गिन दारा दर्शाकर * दि दपहस्च में सर्द फा वन दिया £, अऋन्द के तोसरे प्रश्ननन्त्र में | कः तन क्री ब्डाओे 755 कौज्प ल्ब्ज लक नक्ेक ऋाषायद पस्पति ग्रह” करड प्ररनफता के सम्पूर्ण प्रश्नों के उत्तर । 1 | 1 । | । | | । 1 1 “पल 3०975 ध्छ मे शहर दाशण शिद्ठा है, आवक शेप ये गह ग्न्ब प्योसनिदि जनों की मे. के हे जज ५.० हा औयतयाएुत काकत करकक ्यकू. | +




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