अथ आत्मबोध | Ath Aatmabodh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
94
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand).. आत्मबोधः | 'श५,
: होनाता है तब उसके आश्रय से अपने २ कार्यों में
, लगते हैं. बेसेही देह इन्द्रिय मन बुद्धिमी आत्मा के
'चेतनताका आश्रय लेकर अपने २. व्यापार करने.
लगते हैं अत एवं जब देह इन्द्रिय आदि में स्वतः
: चेंतनता नहीं है. और उनमें आत्मचैतन्य प्रतीत मात्र
होता है तो वे आत्मस्वरूप नहीं हो सक्त ॥ १६ ॥
अब जों यंह कहो कि ऊपर कहे हुए वाक्य से
-झात्मा चेतनरूप तो निश्चित होगया परन्तु उसमें
जन्म, मरण, यौवन, दृद्ध, काण, बधिर आदि व्यव
. 'हार प्रतीत होते हैं इस कारण गात्मा जन्म द्धत्युवाला
: प्रतीत होता. है. तहां कहते हैं कि-
“इलाक-देह्रोन्द्रयथगणान कमाण्यमले स॒-
' ब्िर्दात्यमान । अध्यस्पन्त्यविवे-
. कन गृगन नाहमाएु॑वदू॥ २० ॥
अन्वयः-देहेन्दरियगुणान्, कंमाणि, ( व ) '
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