अध्यात्म भागवत - संग्रह | Aadhyatm Bhagawat Sangrh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
26 MB
कुल पष्ठ :
377
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीगणेशाय नम:
अध्यात्ममागवत-संयह
पहला अध्याय
“४$-लदीधवज 7
वेदान्तसार चतुःःछोकी भागवत
ब्रह्म ओर ईश्वरका संवाद
शान्ताकारं श्ुजगछयनं पद्मनामं सुरेदटां
विश्वाधारं गगनसहरं मेघवर्ण शुभाइ़म।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयन॑ योगिभिषध्योनगस्य॑
वन्दे विष्णु मवमयहरं स्वेलोकेकनाथम ॥
भगवान् श्रीविष्णुको नमस्कार हे जो सब भवबाधाओंको दूर
करते हैं और जो सब लोकोंके एकमात्र नाथ है। उनका मेघके
समान च्याम वर्ण ओर शान्त खरूप है । इस ब्रह्माण्डके अधि-
प्लान वे ही है। उनके नेत्र कमछके समान हैं. और वे योगियों हारा
ध्यानसे ही जाने जाते हैं ।
महाप्रल्यके अनन्तर जब सर्वेत्र जछू ही जल था, तब छक्ष्मी-
पति भगवान् शेष-शय्यापर विश्राम कर रहे थे । उनके मनमें
संकल्प उठा--'में एकसे बहुत होडें/ । संकल्प उठते ही उनकी
नाभिसे ब्रद्माण्डरूपी कमर उत्पन्न हुआ, जिसमें ब्रह्माजी बेठे हुए
थे। ब्रह्माजी न जान सके कि में कौन हूँ ? उनके मनमें ये प्रश्न उठे----
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