ध्यान - माला | Dhyan - Mala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
115
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ध्यान-माला १८ का््याय--२
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हे
२८, आओ उन अगशित बन्धचुओंकी बात सोच, जो अंध-
कारमें पड़े हैं ओर फिर अपने संघ, अपनी वेदना
ओर अपने त्यागसे उत्पन्न होनेवाढी उत्कषदायिनी
शक्तिका विचार करें। हम अपने बन्धुओंको एक पग
प्रकाशके समीप ले जा सकते हैं, उनकी पीड़ाको कुछ
कम कर सकते हैं, उनके अज्ञानको किसी हद तक दूर
कर सकते हैं ओर प्रकाश ओर जीवनकी ओर उनकी
यात्राको कुछ कम लम्बी बना सकते हैं । ऐसा हममेंसे
कोन है जो थोड़ा बहुत जानने पर भी दूसरोंको जो
बिलकुल नहीं जानते कुछ देनेकी तेयार न होगा ९
२५, हम सब अत्यंत दुबल हैं, हमारी शक्ति भी थोड़ी है
ओर हमारी बुद्धि भी सीमित है' प्रेमपूर्ण हृदय, जिसने
अपनेको सब प्रकारसे अर्पित कर दिया है, कहता है: “मै
सेवा करनेको प्रस्तुत हूँ, जो कुछ भी थोड़ा बहुत में कर
सकेूँ, मुझे करने दो। मुझे एक नलिका बन जाने दो
जिसके द्वारा भगवानका वरदान मानव तक पहुँच सके |”
ऐसी ग्रार्थना कभी अस्वीकार नहीं होती, उत्तर मिलता है,
आओ, हमारे साथ मानवताके लिए कार्य करो, परिश्रम
में योग दो ओर साथ ही सफलताके खुखमें भी भागी
बनो । आओ, हम लोग मिलकर मानवताके उत्कर्षके
लिए प्रयत्न करें।
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