कालिदास - ग्रंथावली | Kalidas Granthavali

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Kalidas Granthavali by सीताराम चतुर्वेदी - Sitaram Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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++ठितीयः सगेः श्र उत्ति्ठ वत्सेत्यम्रतायमानं बचो निशम्योत्वितमुत्थितः सन्‌। ददर्श राजा जननीमिय्र स्थां गामग्रत:अस्नवि्शी ने सिहम॥ ३१ ॥ तं बिस्मित॑ धनुरुपान साधो माया मयोद्धाव्य परी चिनोडमि । ऋपिप्रमायान्मयि नास्तकोडपिग्रशुःप्रदर्ु सिुतान्यदिसाः ॥ ६२ ॥ भक्त्या गुरो मस्यहुकर्पया थे ग्रीतारिम ते पुत्र बर॑ गृणीष्ष। ने कैयलानां पयमां प्रशतिसयेद्धि मां कामरदुपां प्रसंक्षायु ॥ ६१॥ - तता समानीय से मानितार्थी दस्तो सहम्तार्जिवीरशखद/। वंशस्प ,कर्तासमनन्तक्ीणि सुदप्तिणा्या तनये ययाने ॥ ६४ ॥ संतानक्रामाय तथेति काम राजे प्रतिश्रत्य पप्थिनी सा । दुग्ध्या पद पत्रपुट मद्रीय॑ ध्रुनोपशुटक्ष्वेति तमादिदेश ॥ ६५ ॥ बत्मस्प होमार्थरिवेश शरेपशपेस्लुतामधिगम्य मातः। प्रौधम्यमिच्छामि तवोपमोक्तु पह्ाशमुर्या इयर रविताया: ॥ ६६ ॥ एवं लितीशेन बशिष्टयेनुर्निज्ञापिता प्रीवनरा बर्भूय। तदन्गिवा देमबताय ढुच्ेः अत्यायपायाथममश्रमेण ॥ ६७॥ शा दिल्लीपड ऊपर घाराशसे विधापनेंने पृतोरों मद्ठी लथादी ॥ ६०॥ हंस दध चंणृतरः समान में 5 एचन शुवाई दिए--/डटों देश” | गाया हिखीयों हिर उद्यदा। देखते कर ६ हि भागे छजोंगे दूध दरराशी हुई माताढे समा मस्िणों झरही ६ चर सारा बर्री माम भा नरींद ॥ ५१ ॥ राजा दिशाप अपरगमा चाँसोंसि पद शस दस मे थे । इसमे मरिदियों मगुष्यधा पे पा देपने सगी--« साएु ! सने माया रपार श॒ुष्यारी पोचा को गो। बटिष्ट झविदे प्रभाशों दखगत भी मेरा पुष मी दियाद रझो किर अर दुसों द्िव४् मात शो इज हो कया देवी ३१ ॥ है पुष | तुमने जे भवते गुरमें जि घेर शुघग दवा दिखाई है रुससे मे हुटुत हपप् हैं। हम भी अाडो वर माँगों। हम शुरे देवनजूध देगानों सोया राौन खमेघना।ई अगस्त हो शाप मो। शुघ्से जी सवा उप थे कब ने सारणी हैं ॥ ९३ ॥ हद गोहफोंक्ा मचाई दांव दैनेशओ अप कापने पराजम्मों बंप कदणाजेदणों राजा दिफादने बाप जापबश पर यह झट हि भरी धुयारी शागो सुददंत छा पर्भधे रस दरतर' पुर हो टिसगे शू दर इसइा इटता अप प्रएचक हपिवु् # साताज अगनेशाय रहा दिबीपसो ऋ्रतित्त ढ हि हि लेगी दच्द' पच कहती चँंच पह ६ताई विद्धल्छ ४ ऐसीएंपा दूध दृरइर दो का 143६४ कस जे बा ए झट मे कचृखत हैं ह ढडइस दे चुद दा अप हृइत दिददगे देच रेप! आदि इक! ग्रेरश मे एसे प्रदात हुरुपा जूर पटल इक दैये एथ:' वाएर'ई! कह! व हे डापद हुए बाग पहच चारा हैं 1६६४ चट दांत शुण्दर ता धन्ट्ुरी छः




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