मन की रानी | Man Ki Rani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ विप्र परिचय हैने उसका सिर अपती योर में #बर श्लेहपर्थ शम्दों से उसे दाद दिवा--करे गए जया इइते है | गम्दारा पद्मासाप फिर से ठुमें बुग्पारी संपत्ति विज्ञा एकता है। उठो ए) सही, पृस्वा-ुस 6! संप्या शोमे से पहके ही अपनी भूत का पता क्षय गग्म है। उसने ठड़ी समप उठकर मेरे चरखों की घृ् को छिर पर लगागा, कौर प्रतिदा की कि १३ अग से कोई भी दुष्कर्म ते करेशा “छा हूँ, उसका णोसन वदखबर एक पत्ित्र भ्ौर सरल बालक दी माति हो यपा है। कलावठी ने पि्मय के साय पृष्ठा-ऐं [ बपा सभ कहते हां हगेंद्र--हाँ बिलकुत सत्र | भत्ता, इसे जहा लगाता प्रौर इमे अब बग्म मिल सकठा है उमभरता हैं, भव इस बूसर चित्र का मी परिचय शिरूना हुम पसख करोगी। कला--परिक्षप शो धुम मे सुना ही दिस है। झब मुझे! लिखने की क्या झ्ाजर्पकता है ! पर शो, शाओ, हैं एक बार उस चित्र को गौर है देख व घहो।




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