अष्टांगहृदय | Ashtanghurday

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Ashtanghurday by श्री कृष्णलाल - Shri Krishnlal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२८ 655 ६. नेवेदल (% प्के3 पत्ती स्व ६1 | सें उस सभ शक्तिमान परमात्मा को धन्यवाद देता हूँ जिमने अपनी अपार कृपा से आज बह दिन दिखाया ह, जिमको में रा स्वपुष्पपत्‌ समझता था जिसके लिये केबल स्वप्न दर्शन का सा &| ॥ आभास होता था। चरकसहिता ऑर सुश्रतमहिता का अनुवाद छपजाने के पश्चात्‌ कई देवी दुर्घटना एसी होगई', जिनसे संसार 20 शन्यवत्‌ प्रतीत होने लगा; मेरी लेबनी भी थक्तित श्रोर उत्माह 2 भद्ग होकर गाद निद्रा में प्रलीन होगई । परन्तु इस दशा में चेडे 1 बेटे जी ओर भी अधिक बचेन हो उठा तब अपनी चिरजात 301 इच्छा को पूरी करने के लिये सकूरप करके अप्ठाइ्द्या का £0 अनुवाद करने में प्रवृत हुआ । वह इच्छा भगवस्कृपा से आज ५७४ पूरा हुई। चरक सुश्रत वाग्भटादि ग्रन्थों के विषय में कुछ लिखना वा उनको प्रश्सा से पत्र के पत्र भर देना से को दीपक दिखाना है क्योंकि पठित आय सनन्‍्तान कोई भी ऐसीन होगी जो इनक | नाम से वा इनके गण से परचित न हो, रहा अनुवाद, उसकी तारीफ करना अपने मुँह मियां मिद्ठ वनना हैं, उसका गश दोप तो विद्वानों के हाथों में पशचन पर ही विद्वित होगा क्योंकि स्रण की परीक्षा कसौटी पर ही होती है। अब सब सज्जन महाशर्यों से यही प्रा थना है कि आप इसको ग्रहण कर अन्य ग्रन्थों के प्रकाश करने में मेरा उत्साह चधवे गे। आपका--- अल 2 5४2 हर श ४1 ५३ है ५ धरा हद | है का 4




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