यजुर्वेदभाष्यम् भाग - 1 | Yajurvedabhashyam Bhag - 1

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Yajurvedabhashyam Bhag - 1  by मद्दयानन्द सरस्वती - Maddayanand Saraswati

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रथमोष्प्याय:॥ .. ४३३ | 5 लाकौशलेन यानेषु सम्प्रयोजनीय देवानां वहितम सस्नितमं प्रप्रितर्म ज- छतमं देवहतममर्मि वर्य धूवोमस्ताडयामः | योयुक्त्या सेवितो5स्मान्‌ धूंब॑ति त॑ धूवेन्तमं्रि धूवे ॥ हे वीर त्व॑ यो दुष्टशचुरस्मान्‌ धृर्ब॑ति तमप्याम्ेयास्रेण घ॒वे यश्व दस्युरस्ति तमपि धवे॥ ८ ॥ भावाथः- यो धातेश्वरः सर्वे जगदृधाति पापिनों दुष्टान जीवान्‌ | तत्कृतपापफलदानेन ताडयति घार्मिकांश्व रक्षति | सवेसुखप्रापक॑ आ- त्मशुद्धिकांरकः पूर्णविद्याप्रदाता विदृृद्धिः स्तोतव्यः प्रीत्येष्टवुद्धधा च सेवनीयोसरिति ॥ स एवं सर्वमनुष्यैभेजनीयः | तथैव योप्रिः सकल- शिव्पविद्याक्रियासाधकतमः एथिव्यादिपदाथोनां मध्ये प्रकाशकप्राप- कतमतया श्रेष्ठोस्ति। यस्य प्रयोगेशाम्रेयात्रादिविद्यया शन्नुणां पराजयों भवति स एव श्िल्पिमिविय्ायुक््या होमयानक्रियासिध्यर्थ सेवनीयः ॥८॥ पदाथेः-- हे परमेश्वर आप | ( ध; ) सब दौषोंके नाश और जगतकी रक्ता- पा करनेवाले । ( असि ) है इस कारण हम लोग इष्ट बुद्धिसे | ( देवानां) विद्वानोंको . विद्या मोक्ष और सुखमें (वहितम) यथायोग्य पहुँचाने । ( सर्ब्रतम॑) अतिशय करके शुद्ध करने । (पप्रितम) सब विद्या और आनन्दसे संसारकों पूरी करने । (जुएत्म) धार्मिक भक्त ज्मोंकों सेवा करने योग्य और । ( देवहूतम ) विद्यानोंकी स्तुति करने: योग्य आपकी नित्य उपासना करते हैं | ( यः ) जी कोई द्वेषी छली कपटी पापी कामक्रोधादियक्त मनुष्य | ( अस्मान ) धर्मात्मा ओर सबकी सुखसे युक्त करनेवा ले हम लोगोंको । ( घर्वति ) दःख देता है ओर। ( ये ) जिस पापी जनको | (वर्य) हम लोग । ( धूवोमः ) दुःख देते हैं | ( त॑ ) उसको आप | ( धूवे ) शिक्षा की . | किये तथा जो सबसे द्वोह करने वा सबको दःख देता है उसको भी आप' स्देव |. ( धूव ) वाडना कीजिये ॥ हे शिल्प विद्याको ज्ञाननेका इच्छा करनेवाले मनुप्य हू “ज्ञो भीतिक अधि । ( घः ) सब पदार्थाका छेदन और अन्धकारका नाश करनेवा ला | (असि),है' तथा। लो कला चलनिकी चतराईसे यानोंमें विद्ानोंको | (वहितम) | सुख पहुंचाने। ( सल्तितम॑ ) शुद्धि होनेका हेतु | (प्मितम) शिव्पविद्याका मुख्य साधन | (ज्एतम) कारीगर लोग ज्ञिसका सेवन करते हैं तथा जो | ( देवहूतम ) . | विद्वानोंकों स्वृतिं करने योग्य अग्नि है उसको। (वर) हमलोग । (धूवीम:) ताड़ते हैं स<++--->-म3+->+«»+-८न>>म३>+»+»»++ २33२ >++»»+ ५८3८-3६ ० ८-८ न 3५८4० पन 9 अ<स 9 ५+०«+-+3न>>3>3+++ 33333 34519 र1२०७23०७०००३५३३५००क ५2 न न ५ +++ अप मम अ ०» 4 आारमक नमसपा* मकान न» नमक भ मम कम न ककन कल सनम




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