इ - त्सिंग की भारत - यात्रा | I - Tsing Ki Bharat Yatra

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I - Tsing Ki Bharat Yatra by लाला सन्तराम - Lala Santaram

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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व्यापक भूमिका «+ “8- +- चारमसि्धिक सन्तव्य संन्‌ ६७ में, चीन में,+ बुद्ध-धम्मे ऊे प्रवेश के पश्चात्‌, फा-हिएन ही पहला व्यक्ति घा जिसने वीद्धों की पुण्यभूमि, भारत, की यात्रा की । उप्तका यात्रा-काल कोई सेलह वर्ष ( सन्‌ ३६४-४१४ ) रहा। उसका सविस्तर वर्णन उसकी 'फो-कुए-कीः में है। उसकी पीछे सुन-युन भौर हुई सेह्न ( सन्‌ ५९८ ) गये, परन्तु दुर्भाग्य से उनका इत्तान्त| बहुत छोटा है, और उसकी तुलना दूमर पर्यटकों फे चृत्तान्त से नही है। सकती । इसके वहुंव देर पीछे, तड़ वंश में,--- जो चीतियो के वाद्ध साहित्य की वृद्धि का काल था,--पहला प्रसिद्ध मनुष्य द्वेन-श्साईू भारत गया । इसकी पुस्तक 'सिन्यू-मो,? अर्धात्‌ (पश्चिमी राज्य का इतिहास?, से हमें उसके विषय में बहुत जान- कारी मिल्लती है। उसने कोई सतन्नह्त वर्ष तक्र (सन्‌ ६२८-६४५) भारत में भ्रमण किया, झौर जे कुछ पाव उसकी दृष्टि में आई उसे श्रपनी उपर्युक्त पुस्तक में पूर्ण रूप से लिस लिया । यद्द पुस्तक भारतीय इतिहास तथा भूगाल के लिए एफ ह्मावश्यक पाठ्य पुलक है हम यह पहले भारतीय श्रमणों, फाश्यप मातम और भारण (था धर्मरक) के पहुँचने की तिथि है । इनसे चीनी सन्नाट_मिद्द-ति (सन्‌ ९८--७०३) ने बुलाया था। घीन में चोद्ध धर्म का ऐतिहासिक आरम्मयद्दी से द्वोता है यद्यपि इसके पूर्व के साहित्य में भी इसऊे चिह्ग कहीं-कह्दी पामे जाते हैं । पृ बील के फा-हिण्न में इसका अज्ुघाद है ।




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