प्राइमरीकोष | Praimary Kosh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
320
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्राइमरीकोप, । है १३
श्रत्युक्ति-( सं- खी- ) एक अलझ्भार का नाम, ( भा- ) वहुत बढ़ा-
चढ़ा कर कहना, कूडी सराइना ।
अत्युक्ति--[ सं- ख्री- ) बढ़ा फे कदना |
अत्युम्र॒-( गु- ) बहुत, चढ़ा बढ़ा, अधिक 1
श्रत्युत्तम--[ ग॒ुः ) बहुत अच्छा, ठीक |
अबत्र--( ञझ- ) यदां, इस जगह, 'मवान! शब्द फे साथ आदरवाचक
जैसे अन्मचान् ।
अथ-( सैं- झ्र- ) फिर आरंभ, शुरू, इस के पीछे ।
श्रथर्थ--६ सं- पु. ) चौथा चेद् ।
झअधाई--( सं- स्रो ) बैठक, सभा, फच दरी, श्रखाड़ा, अड्डा ।
अधथवना--( भा: ) डूबना, अस्त दोना ।
अथवा--' श्र- ) या, वा ।
अथाह--( गु- ) गददरा, अगाध !
श्रथै--( क्रि- ) डूबना, अस्त धोना।
अधोर--( ग़ु- ) घहुत, अधिक ।
अर्थलाघक-( गुः ) अर्थ को साधनेवाला, काम की चौज़ ।
अर्थद््रडड--( स॑- पु. ) रुपये पैसे आदि का द्रड अर्थात् झुर्माना ।
अदन--( सं- पु. ) भोजन, खाना, एक वन्द्रगाद का नाम 1
अदभ्न--( गु. ) बहुत, अधिक । -
अदिन--( स॑. पु. ) बुरे दिन, कुस्ममय ।-
अदिति-.( सं. स्त्री.) कश्यप की स्त्री, देवों की माता ।
अद्छि--( सं. पु. ) भाग्य, विषत, चुरादिन 1...
अद्वितीय--( गु. ) एकद्दी, जिस के ऐसा दूसरा नहीं, लासानी |
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