परमार्थ परिचय भाग - 1 | Paramartha Parichay Bhag - 1

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Paramartha Parichay Bhag - 1  by शान्तिमल सांड - Shantimal Sand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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- आत्मा का सिद्धत्वमाव परम अर्थ है। उसका परिचय करना परमार्ष-परिचय है। परमार्थ सम्यक्‌ दृष्टि आत्मा का एक श्रद्धान है। परम अर्थ का परिचय भिन्न-भिन्न प्रकार से हो सकता है। उसका एक माध्यम पृच्छा भी है। तुंगिया नगरी के श्रावकों के वर्णन में बताया गया है कि वे निर्ग्रन्‍्थ श्रमण भगवन्तों का सानिष्य प्राप्त करने के उत्सुक रहते थे व जब भी ऐसा सुखद सान्निध्य होता तो वे तत्त्वचर्च द्वारा परम अर्थ की गवेषणा करते हुए अपना समय सार्थक करते थे। वर्तमान युग भीतिक युग है। इसमें परमार्थ की बात करना बहुतांश में अरण्य-रोदन का विषय हो सकता है पर एकान्ततः नहीं। इस युग में भी जिज्ञासुओं की जिज्ञासा परमार्थ के प्रति' उपस्थित होती है। उन जिज्ञासाओं का वे समाधान भी प्राप्त करने के इच्छुक होते हैं। | परमश्रद्धेय आचार्यश्री नानालालजी मसा. बीसर्वी सदी की एक विरल विमूति थे। अध्यात्म के क्षेत्र में आपकी गहरी पहुंच थी। आप जिज्ञासुओं को अपने प्रवचनों में सहज ही तत्त्वज्ञान से आप्लावित करते थे व प्रतिदिन संघ्या के समय प्रत्येक जिज्ञासु के लिए समाघानप्राप्ति हेतु द्वार खुला रखते थे। श्रद्धेय आचार्यप्रवरश्री के समाधान अनेक बार मौखिक तो होते ही थे पर दूर क्षेत्रवासी अपनी जिज्ञासाओं का समाधान परम अर्थ का परिचय पत्रों के माध्यम रो भी प्राप्त करते थे। पिछले काफी समय से श्रद्धेय आचार्यश्री के पास प्राप्त होने वाली जिज्ञासाओं का समाघान श्रद्धेय वर्तमान आचार्यश्री रामलालजी म. सा. फरमाते रहे हैं। जिन प्रश्नों का उत्तर लिखित में होता है उनका स्वाभाविक रूप रे संकलन भी हो जाता है। यह संकलन अन्य भव्य आत्माओं के लिए भी परमार्थ परिचय में पाथेय यने इस भावना से संघ की साहित्य समिति ने इनका प्रकाशन किया व श्री सघमा्गी जैन धार्मिक परीक्षा बोर्ड ने परमार्थ-परिचय भाग प्रथम को शास्त्री परीक्षा में रखने का निर्णय लिया, वही परमार्थ-परिचय, जिससे अब तक बहुत आत्माएं लाभान्वित हो चुकी हैं, द्वितीयावृत्ति के रूप में आपके करकमलों में प्रस्तुत करते हुए हम आनन्द का अनुमव करते हैं प्रथम संस्करण के अर्थ सहयोगी श्री प्यारेलालजी भंडारी अलीबाग थे। आशा करते हैं कि आप स्वयं परमार्थ-परिचय प्राप्त करते हुए अर्न्यो को परमार्थ-परिचय की दिशा में सहयोगी बना सकेंगे, इसी भावना के साथ। भवदीय राजमल चोरडिया शान्तिलाल सांड मदनलाल कटारिया अध्यक्ष संपोजक महामंत्री साहित्य समिति




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