औद्योगिक समाजशास्त्र | Audyogik Samazashashtra

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Audyogik Samazashashtra by राजेन्द्र प्रसाद - Rajendra Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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समाजशास्त्र--प्रथे, क्षेत्र, प्रकृति एवं महत्त्व 17 भेकाइवर के प्रनुतार विपयवस्तु मेकाइवर के अनुसार समाजशास्त्र कौ विपय वस्तु सामाजिक सम्वन्ध है। मनुष्य के जीवन के श्रनेक पक्ष हैं जैसे झ्राथिक, घामिक, राजनीतिक झादि । इन सबका सामाजिक पक्ष होता है 1 समाजशास्त्र इनके सामाजिक सम्बन्धो का जाल है। केवल मोटवानी का वर्गोकरण मोटवानी (४०८७०४॥३) ने समाजशास्त्र की विपयवस्तु को निम्न कार्यों के श्राघार पर स्पष्ट किया है:-- (1) उत सिद्धान्तो की खोज करना जिनसे सामाजिक जीवन के प्राघारभूत तत्वों में सामंजस्य स्थापित है, (1) सामाजिक संस्याप्रों के विकास, प्रकृति, कार्यों श्रौर प्रन्त'सम्बन्धो को व्याख्या करना; (1) साम्राजिक सगठन के उन तत्वों की झोर सकेत करना जो सामाजिक परिवर्तन की दिशा निर्धारित करते हैं; (१४) सामाजिक प्रव्यवस्था को दूर करने के लिए व्यावहारिक उपाय प्रस्तुत करना; (४) उन सामाजिक शक्तियों भ्ौर घटकों के समन्वय पर जोर देना जो व्यक्ति तथा समूह की श्रगति में सहायक है । जा्ज सिमेल (0९08८ 8०) के झनुसार कैवल सामाजिक प्रक्रियाएँ (50८०! 770८९४५६5) ही समाजशास्त्र की विषयवस्तु हैं । रियूदर व हा (:०ए/: 27006 प्ञथ।1) के भ्रनुसार समाजशास्त्र की विपयवस्तु (1) सामाजिक विरासत, (४) व्यक्तित्व व उसके विकास ठया (17) सामाजिक प्रक्रिया के रूप में तीन भागों में विभाजित की जा सकती है। इस प्रकार से समाजशास्त्र के विभिन्न विद्वानों ने समाजशास्त्र की विपमवस्तु को स्पष्ट किया है तथा इनमे भिन्नता भी मिलती है। भमेरिका भे भायोजित एक शोष्ठी में कुछ विद्वानों ने समाजशास्त्र की विपयवस्तु को स्पष्ट करने हेतु एक झूपरेखा बनाने का प्रयास किया जिससे उसमें सभी प्रमुख विधियों का समावेश हो सके । इस रूपरेखा के भाधार पर भ्रमेरिकन सोसियोलोजिकल रिव्यू (6ए6तंप्था इ०लंण०हात्य ह९४1८७) में समाजश्ञास्त्र की विषयवस्तु को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया गया है ।? समाजशास्त्र की विपयवस्तु की रुपरेखा 1. समाजशास्त्रीय विश्तेषण 4. मानव-संस्कृति भर समाज 1... मीट साद्रत + भेफश 15 5०००ण०३५, एज: 1-




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