श्री आवश्यक सूत्र भाग - 1 | Shri Aavashyak Shutra Bhag - 1

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Shri Aavashyak Shutra Bhag - 1  by श्री आत्माराम जी - Sri Aatmaram Ji

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about आत्माराम जी महाराज - Aatmaram Ji Maharaj

Add Infomation AboutAatmaram Ji Maharaj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्ई यंयांशक्ति अनुकरंण भी करे क्योंकि सामायिक्रमे सुख्यतेया समाधिकी ही आवश्यकवा हे। जो भागनाके पाठ हैं वह भी इस प्रकारसते है जो शीघ्र ही आत्मबोधकी दिफलाते है-नेसे कि (जिन) व्यान करते २ वर्ण विपयय करनेसे ( निम ) व्यान हो जाता है, इसी प्रकार सामायिक्मे भी प्रार्यना आत्मप्माविक्रों ही पृष्ठ करती है अत प्रार्थना इस अकारसे समाधि देती है नेसे चिंतामणि रत्न इच्छककी इच्छा पूरी कर देवा.हे। तो इस सूत्रका ध्यान करके फिर नमो अरिहिताण ऐंस पाठ पदके फिर वही पाठ एक वार ऊचे स्रतते पढे ॥ फिर बेठकर दक्षिण जानु भूमिका पर रखकर वामा जानु ऊचा करके पुन हाथ जोड्कर निम्नलिखित सूत्र पढ़े ॥ अश मूल सूत्रम् ॥ नमोत्युणं अरिहंता्ं भगवंत्ताणं आइगराणं तित्थपराणं सयसंबुद्दा्ं पुरिसुत्तमाणं पुरिससोहाण पुरिसवरपुंडरीयाण पुरिसवरगघहत्थीण लोगुत्तमाण लोगनाहाणं लछोगहियाणं लछोगपईवाणं छोगपश्नोयग- राणं अभयदयाणं चक्खुदयाणं मग्गदयाण सरणद- यार जीवदयाणं वोहिदयाणं धम्मदयाण घम्मंदेसि- याण धम्मनायगाणं धम्मसारहोणं घम्मवरचाउरंत चक्कवट्टीणं दीवोत्ताणं सरणगड्ठपहठठाण अप्पडिहय- वरनाणं देंसणघराणं विभद्छठमाणं जिणाणं जाव- याणं त्तिन्नाण तारयाणं बड्ाण बोहियाणं मुत्ता्ण मोयगाण सब्बण्णुण लब्बदरिलिण सिव मयरछू मरुब मर्णत मक्खय मव्याबाह मपुणरावित्ति सिद्धिगद नाम- ज्ैयें ठाण सपत्ाण नमो जिणाणं जियभयःण्ण ॥ १॥ ह्् ऊ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now