और खेल अधूरा रह गया | Aur Khel Adhura Rah Gaya

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Aur Khel Adhura Rah Gaya by ज्ञानस्वरूप भटनागर - Gyanaswaroop Bhatanagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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और खेल अधूरा रह गया : २१ गन्दे मोहल्ले थे । इन्ही मोहल्लों मे कनकपुर के बे वाजार थे जहाँ चमड़ा और रुई की भ्राउतें थी और यहाँ से ही यह दोनो वस्तुएँ ठंडी सड़क को पार कर मिलों में जाती थी। वाद में मिलों में इनसे वता चमडे का सामान और ऊनी, सूती कपड़ा ठेलो पर लद॒कर कनकपुर के बाजारों में बिकने के लिए आ जाता था। नगर के इस निहृप्ट भाग से टेस्ट मैच की टीमो के सदस्य दूर ही रहते थे क्यीकि यहाँ के मोहल्लों की गन्दगी से माग्य के धनी, देश के उन लाड़लों के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता था। इन मोहल्लों की गन्दी गलियो में बनी श्रालीशान कीठियाँ भी उनके ठहरने के लिए उपयुक्त स्थान नहीं समझी जाती थी | नगर के दूसरी झोर पंग्रेजो के बगले तो थे पर प्राधुनिक होटलों की कमी थी। ठहरने के लिए उपयुक्त स्थात के भ्रमाव को कारण तगर में टैस्ट मैच होने की सम्भावना एक झरसे तक कल्पना मात्र ही बनी रही | कनक- पुर के किसी नागरिक को विश्वास नहीं था कि यह सम्मावता कभी पूरी 'हो सकेगी । पर क्रिकेट बतकपुर के वातावरण में ऐसा रस-बस गगा था दि जगह-जगह उसकी चर्चा से अनदेखा, देखा हुआ-सा श्रौर ग्रनसुना भी जाना हुआ-सा लगता था। जैसे किंवदतियो श्रौर भ्रन्य उपादानों के आधार पर बीते हुए काल की कल्पना की जाती है, उसी प्रकार से कवक- पुर के भ्रतीत झौीर वर्तमान की झ्राकाक्षाओं तथा भविष्य की सम्मावनाओं ने भुवत की सज्ञा सें कनकपुर क्रिकेट टंस्ट सच वग एक दगलहीन काल्प- निक चित्र प्रस्तुत कर दिया जो समय पाकर दब्दों में बंध गया ।




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