श्री गुरूजी समग्र भाग ९ | Shree Guruji Samagra Khand 9
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
360
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रश्न
ज््तर
प्रश्न
उत्तर
प्रश्न
उत्तर
प्र्श्न
उत्तर
घोडों की भी कल्पना नहीं कर सकता धा। “रहस्य-चर्चा” करनेवाले
इन व्यक्तियों की देखकर मुझे उक्त ग्रामीण का स्मरण हो आता है।
लेकिन दोनों में एक अतर अवश्य है और वह यह है कि
“रहस्य-चर्चा? करनेवाले इन व्यक्तियों में उस आमीण सरीखी
अवोधता नहीं है।
यह वर्ग समय-समय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक सघ पर प्रतिबध लगाने
की माँग क्यों करता रहता है?
सभवत उनका प्रयास हमें भयभीत करने का हो। कितु वे हमें
भयभीत नहीं कर सकते, क्योंकि हम उक्त अवस्था से निकल चुके
हैं। वस्तुत वे शेखी वधारनेवाली ऐसी चर्चा अपनी कमजोरियों की
छिपाने के लिए ही करते हैं।
मुझे यट अनुभव कर अत्यधिक वेदना होती है कि इस देश में
राष्ट्रभक्ति की उपेक्षा हो रही है। दूसरी ओर अपने आपको चीन
का हस्तक बतानेवाले चुनावों में भाग ले सकते हैं और चुने भी
जा सकते हैं। आज अपने राष्ट्र की ऐसी सकटपूर्ण स्थिति है।
इस दु स्थिति का निदान क्या है?
घ्रुवीकरण।
किनका ध्रुवीकरण?
एक ओर सभी राष्ट्रभक्त शक्तियों का धुवीकरण और दूसरी ओर
सभी राष्ट्रविरोधी शक्तियों का। इसके अतिरिक्त अन्य कोई मार्ग
नहीं।
आज के इस आणविक प्रक्षेपास्त्रों के युग में लाटी समान पुराने
शस्त्र का प्रशिक्षण देने में क्या तुक है?
राष्ट्रीय मामलों में सरकार और जनता की भूमिका क्या ही, इसके
प्रति अज्ञान को ही ऐसे प्रश्न प्रकट करते हैं। अप्वास्त्र आदि
शस्त्रों का प्रयोग सरकार ही करती है। ऐसे शरस्त्रों के प्रयोग का
प्रशिक्षण सेना को दिया जाता है। अमरीका या रूस जैसे देश में
भी सामान्य व्यक्ति को इन शस्त्रों का प्रयोग नहीं करने दिया
जाता। उन देशों में भी जनसाधारण को शारीरिक प्रशिक्षण
लाठियों, तीर-कमानों से ही दिया जाता है। ऐसा प्रशिक्षण शरीर
श्री शुरुजी समग्र खड € टन
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