पथ्यास्वस्ति | Pathyasvasti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
210
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इसी सदभ में ऐतरेय-बाह्मण पथ्या-शब्द का प्रयोग श्रदिति के लिये करता है
झौर आदित्य को उसका श्रनुसचरण करने वाला कहता है --
यतथ्या (अ्रदिति) यजति तस्मादसौ (झादित्य ) पुर उदेति पश्चा&स्तमेति,
पथ्या ह्येपोध्नुसचरति ।
४ (ऐन ब्रा० १५ ७)
अत इस दिशा में गवपणा द्वारा श्रध्यात्म-तत्त्व पर पर्याप्त सामग्री मिल
सकती है ।
यद्यपि इस मीमासा से प्रस्तुत ग्रन्थ के विपय का कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध नही
है, परन्तु इसके द्वारा वेदिक-वाडूमय के महत्वपूर्ण स्थलो पर प्रकाश पड सकता
है। भ्रत आ्राशा है यह मीमासा हमारी “त्रमासिक स्वाहा' मे यथाश्षीत्र प्रारभ
की जायेगी श्र विद्वाब् सपादक के अतिरिक्त स्वर्गीय मघुसूदनजी के श्रन्य
शिष्य भी उसमे भाग लेंगे तो उनका स्वागत किया जायेगा ।
झन्त में विद्वान सपादक को मैं हादिक धन्यवाद भ्रपित करता हैं। हमारे
सपादन-विभाग के अध्यक्ष श्री लक्ष्मीवारायण गोस्वामी ने इस ग्रन्थ के लिए जो
श्रम किया है उसके लिए मैं उनका आभारी हूँ ।
फार्गुन शुबला ८, स० २०२५
जोधपुर --फतहू्सिह
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