रामायण एवं महाभारत के समान उपाख्यानों का आलोचनात्मक अध्ययन | Ramayan Aum Mahabharat Ke Samane Uppakhyano Ka Alochanatmak Adhayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उप और आ उपसर्ग पूर्वक ख्या प्रक्कथने धातु से. लय ( जन ) प्रत्यय करने पर उपाख्यानी शब्द निष्पनन होता है जिसका खर्थ है -- सहायक आख्यान अथवा मुख्य आख्यान ( वृष्दू आख्यान या मुलकथा ) कै अन्तर्गत आने वाठा तदढ़. गमूत ठघु आख्यान या काटी कथा । उपाख्यानक ( उप + या प्रककथने + ल्युटू + पफ्नैक्नू ) मी इसी की किचित परिवर्तित संज्ञा है | संस्कृत-सा हित्य में उपाख्यानी शब्द का प्रवुक्तिनिमिन् विषयक जौ स्वरुप उपलब्ध हौता हैं उसके आधार पर यदि हसे परिमाघित करते का प्रयत्न किया नाय तौ यह कहा ना सकता है कि नौ कथानक आकार मैं वृहत्‌ या विशाठ हो वह तौ आख्यान है किन्तु जो कथानक उसकी अँपका कृत स्वत्प स्व तदढ- गमुत हो वही है उपाख्यानी । दस शब्दों में किसी महाका व्य आदि की मुढकथा-वस्तु कै विकास तथा उसके घटना-कृुम में मौड़ नवीनता रोचकता आदि लाने के टियि उसमें यथास्थल नौ प्रासडिगक हृतिवद्ीं की योजना की बाती है वे ही उपाख्यान कहलाते हैं । उदाहरणार्थ वाल्मी किप्रणीत रामायण की मुढकथा-वस्तु राम-कथा है अतसव वह आख्यान है । पार्तु उसके अन्तर्गत प्रासाडि- गक रुप से आने वाल कष्यशुद्ः ग गढ़. गावतरण वशिष्ठ- पविश्वा मित्र शुन शेप कास्त्य ययहति आदि कै कथानक उपाख्यान कहलायँँगू । पाश्चात्य वाढइ- मय मै अग्रेबी-साहित्य के अन्तर्गत उपाख्यानी कै लिये हपिसोहढ ( ८ 806... ? रव्द का प्रयोग मिलता हैं बिसकी मुहत? उत्पाच्ि ग्रीक माघ के हपिसौहोसी ( ८9ब18०505... 2 से मानी जाती है | इवरिमेन्स हनसाइक्टोपीडिया ( डेच्छाड 21 8. छिपठ 1.0 ७8018 )्भ वि कि दि क2 85.005 छहज 96 हे. 0201 पक है (8) ० रस 02 इछठे. तय घातक व. 2.81 छल कक 2 &. ऐ3स्लडी.00 (9) & 8७ठ5.00 व00 जज छा &.. 8617 8.34. छदती चाठतलो है 8. ते सं.तेंकसो न. है छत. छा डे. 088 0 33 छाप्ाशक लक 7. है. टफ़्तेठेठव श्तेए 6. 0लघरड) 50. 15766 ७. मे. 5. 0क0ें०0..




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