अष्टादशपुराण दर्पण | Ashtdashpuran Darpan

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Ashtdashpuran Darpan by खेमराज श्री कृष्णदास - Khemraj Shri Krishnadas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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'उपाह्यत) ' 7 (१७ ) विष्णुपुराण-बाद जन प्रसंग होनेंसे और भविष्यराज्यवंश कर्लिके 9२४६ वर्षतक कहनेसे १०४५७ सनका निर्माणकाल विदित होता हैं. 2 वायुपुराण-सव पुराणोंमे' यही प्राचीन और “मूछ पुराणोंके सबः ठक्षणयुक्त है « ओऔमझ्भागवत-इस बोपदेवकत कोई २ कहते हैं यह १२ शवारर्द रचनाका बोध होता है... हु ६ नारदीयपुराण-इसमें पुराणकें छक्षण नहीं यह आंधुनिक “भक्ति अंथ है; इसमें छिखा है कि गोघातक देवनिन्दकके निकट को यहें पुराण न कहे इससे यह १६ या १७ शताब्दीका संग्रहीत है. बृह- ज्ारदीयपुराण भी इसी प्रकार विष्णुकी स्तुति और वैष्णवॉकि कर्तव्यसे पूर्ण है और आधुनिक है ७ मार्कण्डेयपुराण-त्रह्म पन्न नारदीयकी अपेक्षा अति प्राचीन है; यह ९ या दशमी शताब्दीका संग्रह है पूरा भी नहीं है < अग्निपुराण-इतिहास छन्द व्याकरण तांजिक पूजा होनेके पीछे यह बना है आधुनिक होनेसे भी यह ग्रेथ मूल्यवान्‌ है ९ भविष्यपुराण-इस समय जो भविष्यपुराण पाया जाता है वह मविष्य नहा कहा जाता इसमें प्रथम अंशर्म संक्षेपते रश्टितत्व कथन कर शष समस्तमें व्रत पूजा कही है. 1 ०ब्रह्मवेव्त-मत्स्पपुराणके कहै छक्षण इसमें न होनेसे यह पुराण नहीं समझाजाता, ११ लिड्भपुराण-यहभी एक कर्म येथ समझना चाहिये पोराणिऊृताकी रक्षाके लिये इसमें पुरणकथा जोडी है पुरातन शैवारूपान होनेपर भी इसका बहुत अंश आधुनिक है, १२ वाराहपुराण-इसको मी कमग्रंथ कह्सकते हैं. १३२ शरताब्दीके प्रत्तिद्ध वेष्णव रामानुजका इसमें आमभास्त है




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