कुट्टनी मतम् | Kuttani Matam

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Kuttani Matam by अत्रिदेव विद्यालंकार - Atridev vidyalankar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अत्रिदेव विद्यालंकार - Atridev vidyalankar

Add Infomation AboutAtridev vidyalankar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
असलपघना इतिहास--सस्कृत के प्राचीन विद्वान वुट्टनीमतम्‌ से भरी प्रकार परिचित ये , उन्होने इसको वहुत स्थानों पर उद्धृत क्यो है ।* बाद में यह बहुत समय तक एक प्रकार से हुप्त रहा। सन्‌ १८८३ में डा० पोटर्सत को सस्कृत पुस्तकों को खोज करते सम्रय ताटपत्र पर लिखी इसकी प्रति मिली | इस हस्तलिखित प्रति म॒ पुस्तक का नाम “दइम्मलीमतम्‌” दिया था। यह प्रति अधूरी थी। अपनी रिपोर्ट में डा० पीटर्सन ने इसका उल्लेख किया हैँ।* महामहोपाध्योय पण्डित दुर्गाश्रसाद, जयपुर निवात्ती ने १८८६ में इसको दो हस्तलिखित प्रतियाँ प्राप्त की । इन हस्तल्खित प्रतियों में पुस्तक का नाम कुटनीमतम्‌” था । ये दोनो प्रतियाँ अघूरी और जशुद्ध थी । फिर भी सनू १८८७ में काव्यमाजा गृच्छ तीव मे इसका अकाछत किया ग्रया, क्योंकि यह रचना प्राचीन और सुन्दर थी । सन्‌ १८९७-९८ महामहोप्राध्याय थ्रीहरप्रसाद झास्त्री ने अपनी नेपाल- यात्रा में सरहत पुस्तकों की ख़ोज करते समय इसकी एक प्रति प्राप्त वी 1 यह प्रति सबसे पुरानी प्रतीत होती है? ।” श्री तनमुसराम त्रिपाठी से सामान्य विद्याधियां के उपयोग के छिए इस प्रथ को टिप्पणी के साथ प्रकाशित करने का विचार किया । इसीलिए उनके मित्र काशोबासी श्री बावू गोविन्ददास ने इसवी टिप्पणी तैयार करवाई । परन्तु १ बुइनीमतम्‌ के गायांझू प्रतीक छद्घूव स्पल दर्ज अतिबोमल (पलव )... का पर जर०र शण्३ अपसारय का. पर ८६७, ६॥५० श्ध्श्‌ एकामाब झुमा १०७१ ण्रे३े बुलपतन पद्मतल्त्र ४२० प्र कृडि प्रद्षवि पखल ११३५ २० खबिवादे परछोक पश्नतस्त्र १३६ २ ससस्‍हृत वी पुलबों की खोत् की ढा[० पिश्सन का एपोर्ट--दम्बई विभ[ुग--है८८३-ह४, पु शशा ३ राय एशियाध्कि सामायटी द्वारा प्रकाद्ित कुदटनामतम्‌ काव्य की भूमिका के अनुसार 1




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now