विषाक्त प्रेम | Vishakt Prem
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
276
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शंध . धनिष्ठना
! छ्लोशिर चुपचाप खुनयनीकी ओोर देखता रहा ।
सुनयनीने उत्तर दिया-बैटा, इसमें राग करोकी फौत
चात है। छोटा पृत्र माताको सदा सबसे प्यारा द्वोता है ।
शिशिर आननन््दास्गतसे नहा उठा। उसका. अड्भू प्रत्यड्ू
आनन्दसे सरायोण दो गया, उसको प्रतीत दोने छगा मानों अभी
'माताकी फ्लोसमें जन्म लेकर उसने अपने जन्मजन्मान्तरकी,
आस मिटा लो है । है
रजत--(हंसकर) फिर अफेले शिशिण्को ही खानेको दो॥।
मैंतो शिशिर्के दी घरसे डटकर पा आयाह। मुम्े परवा
क्या है
शिशिरने देंघा कि खुनयनी दो थालियोंमें अनेक प्रकारफे
सुस्वादु व्यज्षन सजाकर छे आयी । शिशिर उदास मन थोला--
मैया, मैंने तुम्हें पया माल चमाया जो तुम्दारा पेंट फूला है। '
खुनयनीने शिशिरफी तरफ देंपा, उसका मु ६ उदास था,.
उसने रजतसे कद्दा-तुर्हें फिर खाना होगा। शिशिर अपैला-
कैसे घायगा।!
शिशिरने नछ्त होकर कट्दा--मुपै इस वक्त खानेफकी आदत
नहीं है मा! इससे में कुछ नहीं खाऊंगा।
सुनयनीने सामने सीज्य पदा्थे रखते रखते फद्दा--चेटा,
आक दिन असमयपर छालेनेले बीमार नहीं पड जाबोगे ।
शिशिर--अमी भोजन कर लेंगे तो रातको फिर कुछ छ ,
खाया ज्ायगा। के
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