व्यक्तित्व का विकास | Vyaktitv Ka Vikas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कार्य-शक्ति और कर्म-सामथ्यें स्वयभेव आपके अन्दर आ जाएगी ।
आपके विचार का संपूर्ण प्रवाह आपके आदर्श की ओर प्रवाहित
होना चाहिए, उससे विपरीत या भिन्न दिशा में नहीं । विचारों की
एकाग्रता के कारण ही मानव सभ्यता के सभी चमत्कारों को प्रकट
होने का अवसर मिलता है। अच्छी वस्तुओं, अच्छी भावनाओं,
अच्छी अवस्थाओं के निर्माण में अपने जीवन का योगदान समझ
लीजिए | मन में दृढ़ विश्वास जमा लीजिए कि आपका जीवन किसी
विशाल, किसी विराट, किसी व्यापक, किसी महत्वपूर्ण, किसी उप-
योगी कार्य के लिए है और आप उस कार्य को तभी पूर्ण कर सकेंगे
जब आप अपनी बुद्धि और प्रयत्त का संगम कर सकेंगे; जब आप
अक्लमंदी से, चतुराई से, कुशलता से, सर्तेकता से कोशिश कर
सकेंगे । यदि आप अपने मन को निरन्तर रचनात्मक स्थिति में
बनाए रख सकते हैं, यदि आप अपने आदर्श की ओर बढ़ने में
निरन्तर संघर्ष करते रह सकते हैं, यदि आप अपने सपने को
साकार करने के लिए लगातार काम में जुठे रह सकते हैँ, तो रामझ
लीजिए कि आपके जीवन का लक्ष्य आपसे दूर नहीं है।
मन में निरच्तर यह दृढ़ विश्वास रखिए कि आप निरन्तर
उन्नति के पथ पर बढ़ते जा रहे हैं, किसी उच्चत्तर लक्ष्य की ओर
लगातार बढ़ते जा रहे हैं, किसी उत्कृष्ट रचना या श्रेष्ठ निर्माण में
सफल होते जा रहे हैं और आपके अस्तित्व का प्रत्येक परमाणु
निरन्तर प्रगति की ओर अग्रसर हो रहा है।
वहुत-से लोग यह समझते हैं--“सपने देखना एक खतरनाक
भूल है, कल्पनाओं में उलझे रहना देकार होता है, सपने देखने से,
कल्पनांओं में डूबे रहने से जीवन अव्यावहारिक बन जाता है।”
परन्तु ऊपर लिखा विचार विल्कुल गलत है। ये सपमे
और ये कल्पनाएं मनुष्य के लिए उसी प्रकार पवित्र हैं, जैसे कि
अन्य सद्गुण। ये उसी प्रकार वरदान हैं जैसे कि अन्य श्रेष्ठ
वृत्तियां। हमें ये सपने दिव्य उद्देश्य के लिए प्रदान किए गए
है---ग्रदि ये न होते, तो मानवता की इतनी अद्भुत उन्नति कभी न
User Reviews
jitendra
at 2019-11-06 04:42:27"Good work"