आत्महत्या के विरुद्ध | Atam Hatya Ke Viruddh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
668 KB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मुसहीलाल
घिघधियाते उपकुलपति
एक शब्द कही नहीं कि वह छड़का कोन था
कया उसके बहनें थीं
क्या उसने रकक््खे थे टीन के बक्से में अपने अजूबे
वह कौन कौन से पकवान
खाता था
एक शब्द कहीं नही एक वह शब्द जो वह खोज
रहा था जब वह मारा गया ।
सन्नाटा छा गया
चिट्ठी लिखते लिखते छूटकी ने पूछा
'क्या दो वार छिख सकते हैं कि याद
ञाती है ?'
एक बार मामी की एक बार मामा की ?!
नहीं, दो नों बार मामी की'
'लिख सकती हो जरूर बेटी,” मैंने कहा
समय आ मया है
दस बरस बाद फिर पदारूढ होते ही
नेतराम, पदमुक्त होते ही न्यायाधीश
कहता है । समय आ गया है---
मौका अच्छा देखकर प्रधानमन्त्री
पिदा हुआ दलपति अखबारों से
सुन्दर नौजवानों से कहता है गाता बजाता
हारा हुआ देश ।
समय जो गया है
मेरे तलुबे से छनकर पाताल में
वह जानता हूँ मैं ।
भात्महत्या बे: विरद्ध / २४
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